अकाल पड़ता रहा (kahani)

April 1986

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सारस्वत देश में कई वर्ष तक अकाल पड़ता रहा। प्रजाजन भूखों मरने लगे और देश छोड़ कर भागने लगे।

उन्हीं दिनों सप्त ऋषि उस क्षेत्र से होकर गुजरे। राजा ने सुना तो उनका आतिथ्य करने दौड़ा। साथ ही उन्हें स्वर्णदान भी देने लगा।

ऋषियों ने कहा तुम्हारे भण्डार में इतना धन है, पर यह आड़े वक्त में भी प्रजा के काम नहीं आ रहा, ऐसी निष्ठुर कृपणता को ग्रहण करके हम कैसे उसके भार को ओढ़ें।


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