अब से 1800 वर्ष पूर्व दक्षिण भारत में एक महला-रोप्य नाम का एक राज्य था। राजा के तीनों राजकुमार बड़े उद्दण्ड थे। वे पढ़ने, लिखने और उपयोगी चर्चा सुनने को तैयार न होते थे। बड़े होने पर भी उनकी आवारागर्दी न घटी तो राजा बहुत दुःखी हुये। किसी अध्यापक को वे लड़के टिकने ही न देते थे।
राजा ने घोषणा की कि कोई अध्यापक मेरे लड़कों को पढ़ा सके तो उसे प्रचुर पुरस्कार मिलेगा। मात्र विष्णु शर्मा इसके लिये तैयार हुये। उनने कहानियाँ गढ़ीं और उन्हें सुनने के लिये राजकुमारों को तैयार कर लिया।
उन कथाओं का संग्रह पंच तन्त्र नामक ग्रन्थ में है। राजकुमार तो कथाओं के आकर्षण से समझदार हो ही गये और विष्णु शर्मा को प्रचुर पुरस्कार भी मिला। इसके अतिरिक्त वह ग्रन्थ साहित्य जगत में भी बहुत प्रख्यात हुआ। उसके संसार के सभी प्रधान भाषाओं में अनुवाद हुआ है।