जयपुर के अग्रवाल महाविद्यालय भवन में अ.भा. आयुर्वेद सम्मेलन हो रहा था। महामना मालवीय जी को अध्यक्षता करनी थी। उन दिनों देशी रजवाड़े किसी राष्ट्रीय विचार वाले को अपने क्षेत्र में प्रवेश न करने देते थे। अस्तु मालवीयजी के जुलूस एवं भाषण पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।
मालवीय जी ने पैंतरा बदला उनने भागवत कथा कहना आरम्भ कर दिया जो पूरे दो घण्टे चली। जनता मन्त्र मुग्ध रह गई।
समाचार राजमहल पहुँचा तो राजा ने मालवीय जी की कथा सुनने उन्हें राजमहल में आमन्त्रित किया। बड़े ध्यान से उन्होंने कथा सुनी। इसके उपरान्त हिन्दू विश्वविद्यालय के लिए राज्य कोष से लाखों रुपये की सहायता भी दी गई।