बच्चों के साथ खेल रहे थे (kahani)

April 1986

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महान कहानी लेखक ईसप छोटे बच्चों के साथ खेल रहे थे और उन्हीं की तरह हँसने-चिल्लाने और कुछ बनाने बिगाड़ने में व्यक्त थे। नगर के कुछ प्रसिद्ध व्यक्तियों ने ईसप की इन बालक्रीड़ाओं को देखा और उनकी महानता का स्मरण दिलाते हुए अपना समय नष्ट करने का कारण पूछा।

ईसप ने उत्तर में खूँटी पर से खुली प्रत्यंचा का धनुष उठाकर दिखाया और कहा यदि इसकी डोरी सदा खिंची रखी जायेगी तो यह समय पर काम देने योग्य न रहेगा। इसी प्रकार यदि मनुष्य सदा गम्भीर और तनावग्रस्त रहे तो वह अपनी विशिष्टताएं जल्दी ही गँवा बैठेगा। मनुष्य के लिए हँसना-हँसाना भी आवश्यक है।


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