जापानियों को रूस की लड़ाई में एक नदी आड़े आई। पुल बनाना कठिन था। इस नदी को पार करने के लिए एक हजार नागरिकों की लाशों का पुल बनना था जिस पर होकर सैनिक पार जा सकें। इसके लिए नागरिकों की भर्ती की गई। एक हजार की जगह चार हजार नाम आ गये। इन नामों में एक लड़का भी था जो भर्ती होने के लिए अति उत्सुक था पर उसकी मां बीमार थी। अकेला था। इसलिए उसे मंजूरी न मिली। मां ने अपने को आड़े आया देखकर विष पी लिया और लड़के को भेजते हुए कहा- “शरीर की, मां की अपेक्षा राष्ट्र माता की सेवा अधिक आवश्यक है तुम प्रसन्नता पूर्वक जाओ।”