जो जान लिया वही सब कुछ है, ऐसा मूर्ख ही मानते हैं। बुद्धिमान अपना ज्ञान बढ़ाते रहते हैं। ताकि ढेर में से जो सारगर्भित है उसे चुन सकें।
यश अपयश मरण के उपरान्त भी सुगन्ध दुर्गन्ध की तरह चिरकाल तक बना रहता है। वस्तुतः यही मनुष्य का बहुमूल्य उपार्जन है।