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December 1999

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संसार को स्वर्ग और मनुष्य को देवोपम बनाने के लिए, वर्तमान दुर्गति के दलदल से निकलने के लिए ज्ञानसाधना में अनवरत रूप से संलग्न रहने की आवश्यकता है। भूत और वर्तमान की तुलना करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि ज्ञान के बिना उज्ज्वल भविष्य का और कोई मार्ग नहीं।

-पं श्रीराम शर्मा आचार्य


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