भीमकाय शरीर-बौना -सा मन

December 1999

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मनुष्य का अपना एक औसत आकार-प्रकार और भार है। न्यूनाधिक अंतर के साथ सभी इसी दर्जे में आते हैं; किंतु कुछ समुदाय ऐसे भी हैं, जो अपनी दैत्याकृति के कारण असाधारण कहलाते और अद्भुत समझे जाते हैं। ये समूह यत्र-तत्र ही देखे जाते हैं।

ऐसा ही एक वर्ग कभी पैटागोनिया में था। अर्जेन्टीना और चिली के दक्षिणी भाग में रियों नीग्रो एवं मैजेलन जलडमरूमध्य के बीच स्थित यह भूभाग तीन शताब्दियों तक यात्रियों के कौतुक-कुतूहल का विषय बना रहा। जून 1520 में जब मैलेजन और उसके साथी इस रास्ते से गुजर रहे थे, तो अर्जेन्टीना के पोर्टसैन जूलियन समुद्र तट पर उन्होंने एक भीमकाय मनुष्य को देखा। उसकी विशाल आकृति से वे आश्चर्यचकित रह गए। पिगाफेटा नामक मैलेजन के एक साथी नाविक के अनुसार वह इतना लंबा था कि साधारण लोग मुश्किल से उसकी कमर तक आ सकते थे। उसकी आवाज साँड़ जैसी कर्कश थी। जल्द ही उसके और साथी वहाँ एकत्रित हो गए। वे सभी बृहद् आकार के थे। मैजेलन के साथ यात्रा कर रहे प्रसिद्ध स्पेनी इतिहासज्ञ हरेरा का कहना था कि उक्त समुदाय का सबसे नाटा व्यक्ति स्पेनवासियों से कहीं अधिक लंबा और तन्दुरुस्त था। एक विशेष युक्ति द्वारा स्पेनी नाविक उनमें से चार को पकड़ने में सफल हो गए; पर दुर्भाग्यवश दो उनकी कैद से किसी प्रकार निकल भागे, जबकि शेष दो की रास्ते में मौत हो गई। इस तरह दैत्याकार मानवों का प्रमाण उपलब्ध कराने की उनकी इच्छा पूरी न हो सकी।

इसके उपरांत ड्रेक के नेतृत्व में एक दूसरा दल सन् 1578 में पोर्टसैन जूलियन पहुँचा। उसके नाविकों ने भी वहाँ विशाल कलेवर वाले मनुष्य देखे। उनसे उनकी मुठभेड़ भी हुई, जिसमें ड्रेक के दो साथी मारे गए। ड्रेक ने उनकी अनुमानित लंबाई लगभग साढ़े सात फुट बताई।

इसके पश्चात् सन् 1580 में एक अन्य अभियान दल मैलेजन जलडमरूमध्य से होकर गुजर रहा था। इसके कप्तान थे-पेड्रो सारमियेंटो। जब उनका बेड़ा जलडमरूमध्य से कुछ आगे बढ़ा, तो सबने समुद्र तट पर एक विशाल झुंड देखा, मानो वे उनकी अगवानी के लिए खड़े हों। उस समूह के सभी व्यक्ति असाधारण रूप से लंबे-तगड़े थे, जैसे वे किसी अन्य ग्रह के निवासी हों।

टाँम हर्नांडीस ने साथी नाविकों के साथ मैलेजन में लगभग एक वर्ष गुजारा। यह सन् 1584 की बात है। वहाँ के स्थानीय निवासियों के संबंध में उन्होंने भी इस तथ्य को स्वीकारा है कि वहाँ के लोग सामान्य मनुष्यों से भिन्न आकार-प्रकार वाले हैं।

एंथोनी क्वीनेट ने सन् 1592 में पैटागोनिया की दूसरी बार यात्रा की। उसने वहाँ के निवासियों को 10 फुट का दैत्याकार शरीर वाला बताया है। उसका कहना था कि वह पोर्ट डिजायर में कुछ मृत देहों को नाप-तौलकर यह दावा कर रहा है। सिबाल्ड डी. विर्ट द्वारा भी उसके इस दावे की पुष्टि होती है। उसने सन् 1598 में मैजेलन की यात्रा की थी। एक अन्य पर्यटक जोरिस स्पीलबर्जन 1615 में उस मार्ग से गुजरा था। उसके नाविकों ने एक समीपवर्ती टापू में दो शव पाए थे जिसमें से एक साधारण लंबाई का था, जबकि दूसरा सामान्य से करीब ढाई फुट अधिक लंबा था।

जैकब ली मेयर और विल्हेल्म साउटेन ने भी दिसंबर 1615 में उस क्षेत्र में भीमकाय लोगों के देखे जाने की बात कही है। ली मेयर ने अपने संस्मरण में इस बात का उल्लेख करते हुए लिखा है कि ऐसा लगता है, मानो पैटागोनिया का संपूर्ण क्षेत्र ही विशाल कलेवर वाले लोगों से आबाद है। कई स्थानों पर उन्होंने इस प्रकार के कई झुंड देखे। उसमें नर-नारी दोनों की ही ऊँचाई असाधारण थी।

यह वह कालखण्ड था, जिसमें यात्रियों में से लगभग सभी का पैटागोनिया के दैत्याकार मानवों से आमना-सामना हुआ। इससे आगे के करीब 85 वर्षों का कालखण्ड ऐसा रहा, जिसमें संयोगवश पर्यटक उन्हें नहीं देख सके। इसलिए उन्होंने इसकी पुष्टि नहीं की। ऐसे पर्यटकों में सर जॉन

नरबोरो से लेकर जॉन विंटर, डी जींस आदि प्रमुख हैं, किंतु उसी अवधि में हैरिंगटन एवं करमैन नामक दो फ्राँसीसी जहाजों के यात्रियों ने पजेसन की खाड़ी में विशाल कलेवर वाले मनुष्यों के देखे जाने का दावा किया है-एक अवसर पर छह, दूसरे में सात तथा एक अन्य मौके पर उनका बृहद् समुदाय दिखाई पड़ा। इनमें लगभग आधे सामान्य आकार-प्रकार के थे और आधे वृहदाकार। एक अन्य यात्री फ्रेजियर के अनुसार दक्षिणी पैटागोनिया के दूरवर्ती इलाके में एक ऐसा वनवासी समुदाय है, जिसकी औसत ऊँचाई 9 से 10 फुट तक होती है। आँलिवर वान नुर्ट की भी ऐसी ही मान्यता थी।

सन् 1764 में कमोडोर बायरन के उस क्षेत्र की यात्रा के उपरांत यह सुनिश्चित रूप से स्थापित हो गया कि वहाँ दैत्याकार मनुष्यों का अस्तित्व है। 21 दिसंबर, 1764 को बायरन का जलयान ‘डोलाफिन’ जब पैटागोनिया के सी. विरजिंस नामक क्षेत्र में लंगर डाल रहा था, तभी नाविकों को कुछ घुड़सवार दिखलाई पड़े। उन सभी ने हाथ हिला-हिलाकर उन्हें समुद्र किनारे आने का इशारा किया। इसके बाद बायरन अपने कुछ सशस्त्र साथियों के साथ जहाज से उतरकर समुद्र तट पर आए। वहाँ उनका सामना एक भीमकाय मनुष्य से हुआ। शायद वह उस समूह का नेता था, जो कुछ दूरी पर था। इसमें लगभग पाँच सौ लोग थे। बायरन लिखते हैं कि वह व्यक्ति देखने में कथा-कहानियों वाला दैत्य-सा प्रतीत हो रहा था। उसके कंधे पर किसी जंगली जंतु का चर्म था। उसकी लंबाई सात फुट से किसी भी प्रकार कम नहीं था। जैसे ही उसकी विशाल मूर्ति सामने आई, उन दोनों ने एक-दूसरे का अभिवादन किया, फिर वे उसके पीछे-पीछे समूह की ओर चल पड़े। वे वास्तव में दैत्य कहलाने योग्य थे। उन्हें लंबे मनुष्य की तुलना में दैत्याकार कहना अत्युक्तिपूर्ण न होगा, कारण कि लंबे व्यक्तियों में लंबाई तो होती है पर उस अनुपात में माँसलता और मजबूती नहीं होती, अतएव वे साधारण से प्रतीत होते हैं, जबकि पैटागोनिया के लोग लंबाई के हिसाब से मजबूत और माँसल थे, अतः वे देखने में बड़े भयावह लगते थे। उनमें से सबसे नाटा व्यक्ति बायरन और उनके साथियों से (जिनमें से अधिकाँश छह फुट थे) कम-से-कम चार इंच लंबा और हृष्ट-पुष्ट था।

बायरन के एक अधिकारी सी. क्लर्क इसी घटना का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि उनमें से कई निश्चित रूप से आठ फुट के थे। बायरन की लंबाई छह फुट दो इंच थी। पंजे के बल खड़े होकर ही वे कइयों के सिर के शीर्ष का स्पर्श कर सकें, जबकि अनेक उनसे भी लंबे थे, जिनका शीर्ष स्पर्श करने में वे असफल रहे। महिलाओं की लंबाई अनुमानतः साढ़े सात से आठ फुट के बीच होगी।

इस यात्रा के दो वर्ष पश्चात् सन् 1766 में वैलिस और कारटरेट ने सी. विरजिन की यात्रा की। उन्होंने जो नाप बताई, वह बायरन के अनुमान से भिन्न और कम थी; किंतु फिर भी वे साधारण से अधिक लंबे थे। उनके पास ऊँचाई नापने वाली दो छड़ें थी। उनसे जब समूह के सबसे लंबे व्यक्ति को नापा गया तो वह छह फुट सात इंच निकला। कई छह फुट पाँच इंच से लेकर छह फुट तक के थे; लेकिन अधिकाँश की लंबाई पाँच फुट 10 इंच से लेकर छह फुट तक के बीच थी।

बायरन और वैलिस के विवरणों में भिन्नता के संबंध में स्वयं वैलिस लिखते हैं कि बायरन ने जो विवरण प्रस्तुत किए हैं; वह गलत हैं-ऐसा मानना उचित न होगा। यह संभव है कि उनका आमना-सामना उस क्षेत्र के किसी ऐसे समुदाय से हुआ हो, जो सबसे लंबा शारीरिक गठन वाला हो। वैसे भी जहाँ के निवासियों की औसत लंबाई छह फुट के करीब हो, वहाँ सात-साढ़े सात फुट तक के व्यक्तियों का पाया जाना आश्चर्यजनक नहीं है।

सन् 1766 में ही एक अन्य नाविक डकलस गायट ने सी. विरजिस के पश्चिमी छोर की यात्रा की थी। जहाज के एक अधिकारी ने जब वहाँ के स्थानीय लोगों के एक समूह में से सबसे छोटे व्यक्ति की लंबाई नापी, तो वह छह फुट का था। शेष सभी बहुत लंबे थे।

सन् 1773 में तब उपलब्ध संपूर्ण साक्ष्यों का निचोड़ प्रस्तुत करते हुए हाँक्सवर्थ ने कहा कि जलडमरूमध्य के दोनों ओर के अपेक्षाकृत स्थायी रूप से बसे हुए कबीलों के लोग प्रायः सामान्य कद-काठी के हैं, जबकि असामान्य देहयष्टि वाला समुदाय एंडिस पर्वत के पश्चिमी छोर पर एवं अंदर वन में रहता है तथा जलडमरूमध्य के किनारे पर यदा ‘-कदा ही आता है।

डार्विन अपनी पुस्तक ‘वोयेज ऑफ दि बीगल’ में लिखते हैं कि उन लोगों ने पैटागोनिया की यात्रा के दौरान ग्रेगरी अंतरीप में स्थानीय दैत्याकार लोगों को न सिर्फ देखा था, वरन् बातें भी की थीं। उनका व्यवहार अत्यंत स्नेहपूर्ण था। वे कहते हैं कि वे वास्तव में देखने में जितने लंबे लगते थे, उतने थे नहीं, फिर भी औसतन छह फुट के थे। महिलाएँ भी पुरुषों की तरह समान रूप से लंबी थीं। वे निश्चित रूप से दुनिया की लंबी प्रजाति वाले लोग हैं।

जेम्स बाउर्ने ने वहाँ की यात्रा सन् 1849 में की थी। अपनी पुस्तक ‘दि पैटागोनिया जाइंट’ में वे लिखते हैं कि काय-कलेवर की दृष्टि से निश्चय ही वे बृहद् थे। प्रथम दृष्टि में ऐसा लगता था मानों सचमुच हम किसी दैत्य के आगे खड़े हैं संसार में जितनी ज्ञात जातियाँ हैं, उनमें आकार-प्रकार की दृष्टि से यह सर्वोपरि है; किंतु उनका सही-सही विवरण दे पाना कठिन है। उनकी वास्तविक लंबाई कितनी थी? इस संबंध में उनने अपनी लंबाई को ही मानक के रूप में इस्तेमाल किया। वे स्वयं 5 फुट 10 इंच लंबे थे। जब वे उनकी लंबाई का अनुमान लगाने हेतु उनके निकट खड़े हुए, तो वे उनके कंधे से लगभग चार इंच छोटे आकार के थे, फिर भी बाउर्ने से वे लंबे थे। कुछ उनसे भी अधिक लंबे थे, कदाचित सात फुट के निकट हों।

इस प्रकार भिन्न-भिन्न समय के घुमंतू पर्यटकों ने पैटागोनियावासियों के संबंध में लगभग एक सा निष्कर्ष प्रस्तुत किया है कि वे सभी असाधारण आकार-प्रकार वाले लोग हैं। लंबाई संबंधी ब्यौरे में न्यूनाधिक अंतर स्वाभाविक है, कारण कि अधिकाँश का आधार अनुमान था। फिर भी इस आधार पर जो आकलन दिया गया; उसे न मानने का कोई कारण नहीं, क्योंकि विश्व के कई हिस्सों में उस आकार-प्रकार के लोग अब भी पाए जाते हैं। औसत जापानी पहलवान काफी दीर्घ शरीर वाले होते हैं। कई बार उनकी लंबाई 7 फुट से भी अधिक होती है और देह का विस्तार भी उसी अनुपात में होता है। ऐसी स्थिति में मनुष्य की कोई दीर्घाकृति प्रजाति के पाए जाने के संबंध में आश्चर्य क्योंकर होना चाहिए? विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिणी पैटागोनिया का बहुत बड़ा इलाका अब भी अविज्ञात है। वे इस सुदीर्घ प्रजाति को उसी क्षेत्र से संबंधित बताते हैं।

मनुष्य दीर्घाकृति वाला हो- यह अच्छी बात हैं; पर उसका अंतःकरण भी उतने ही अंशों में सुविस्तृत और सुविकसित होना चाहिए, तभी इस देह की सार्थकता है। विराट् मन बृहद् शरीर में न हो, तो एक प्रकार से भारभूत ही प्रतीत होगा और कितनी ही प्रकार की कठिनाइयाँ उत्पन्न करेगा। इसके विपरीत देहाकृति यदि साधारण हो; पर अंतराल अनंत आकाश की तरह विस्तीर्ण, तो वह मनुष्य अभिनंदनीय-अभिवन्दनीय है, कारण कि इस जगत् में देहयष्टि की तुलना में दिव्यता अधिक महत्वपूर्ण है। आज सारे भारत व विश्व में देहयष्टि को माँसल-पुष्ट बनाने तो वह मनुष्य अभिनंदनीय-अभिवन्दनीय है, कारण कि इस जगत् में देहयष्टि की तुलना में दिव्यता अधिक महत्वपूर्ण है। आज सारे भारत व विश्व में देहयष्टि को माँसल-पुष्ट बनाने -वैसा दीखने के प्रयास चल रहे हैं, पर क्या इससे यह सिद्ध होता है कि मनुष्य अंदर से भी बड़ा बन रहा है? नहीं वहाँ तो बौनापन ही दिखाई देता है। हमें अपने अंतरंग को विशाल बनाने का प्रयास करना चाहिए।


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