सफलता की पहली शर्त है— पूरी तन्मयता, धैर्य और साहस के साथ प्रस्तुत कार्य में जुट जाया जाए। दूसरी शर्त है— उस कार्य के उपयुक्त अपनी योग्यता, साधन-सामग्री एवं सुयोग्य व्यक्तियों की सहायता बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहा जाए।