मकान बनता है (कहानी)

January 1990

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किसी भक्त ने महर्षि रमण से पूछा— "अनेक लोग देशसेवा के अनेकानेक कार्यों में लगे हैं, तब आप क्यों निष्क्रिय बैठे रहते हैं?”

महर्षि ने सहज उत्तर दिया— "चक्की का निचला पाट स्थिर रहता है और ऊपर वाला घूमता रहता है, तभी आटा पिसता है। दोनों घूमें तो बात बनेगी नहीं, गड़बड़ी फैलेगी। किसी को चिंतन करने और प्रकाश देने के लिए स्थिर भी तो बैठना चाहिए।"

उनने और भी कहा— "मकान बनता है तब राज, मजदूर ईंटें ढोते और तोड़ते हैं। आवाजें होती हैं, पर जब रंगाई-पुताई का काम चलता है तो वहाँ कुछ भी शोर-शराबा नहीं होता। इसका मतलब यह नहीं है कि रंगाई-पुताई करने वाले निष्क्रिय बैठे हैं।"

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