शास्त्र पत्थर की लकीर नहीं है और न श्रेष्ठ पुरुषों के वचन आत्यंतिक सत्यों पर आधारित हैं। ऐसा होता तो उनके बीच विरोध क्यों पाए जाते ? तुम सच्चाई को ढूँढ़ो और वह जहाँ भी मिले वहाँ से चुन लो।