एक युवक दिल्ली के गाँधी साहित्य निधि का पुस्तकालय देखते-देखते एक गाँधी जी की लिखी पुस्तक बिना दाम दिए जेब में रख ले गया।
पुस्तक में बड़ी प्रेरक बातें थीं। पर साथ ही उसमें यह भी लिखा हुआ था कि साध्य के साथ साधना भी पवित्र होनी चाहिए।
वह गाँधी जी के मार्ग पर चलना चाहता था। उसे पुस्तक चुरा लेने की बात बहुत खटकी और तत्काल पुस्तक का मूल्य मनीआर्डर से भेज दिया। अपनी मानसिक दुर्बलता के लिए क्षमा माँगी।