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Akhand Jyoti
Year 1990
Version 2
सद्वाक्य
सद्वाक्य
January 1990
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दिल खोलकर हँसना सीखो, ताकि बुढ़ापे की झुर्रियों में भी जवानी की झलक चमकती रहे।
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Page Titles
अपनी परिधि का विस्तार करें!
साहित्यकार स्रष्टा ही नहीं, द्रष्टा भी
देवत्व का विकास ही अंतिम समाधान!
शिक्षाप्रद कहानी
हजार तालों की एक चाबी
मेरा सभी कुछ औरों से अलग है
दिव्य अनुकंपा का मखौल तो न हो
सद्वाक्य
यह सुयोग व्यर्थ न जाने पाए
आदर्शवादी बिक नहीं सकता!
नवयुग की वरिष्ठतम शक्ति-संपदा: भाव-संवेदना
औद्योगीकरण का कुकुरमुत्ता ऐसे नष्ट होगा
फिर एक ईसा ने सूली को स्वीकारा
सद्वाक्य
जीवन देवता को कैसे साधें ?
प्रकृति पर बलात्कार को उतारू विज्ञान
क्रियाकलाप प्रत्यक्ष— प्रेरणा परोक्ष
भारत की आत्मा का सिंहावलोकन
जो आगे बढ़ते हैं। (कहानी)
नियति का निर्धारण रुकेगा नहीं
चिंतन-प्रक्रिया में क्रांतिकारी परिवर्तन होकर रहेगा
दूरदर्शी विवेकशीलता का जागरण त्राटक द्वारा
ज्ञातव्य
अब जाना सेवा का सही अर्थ
विवेक जागा, दिशा मिली
आसन्न विभीषिकाएँ व उनके पीछे छिपी यथार्थता
आदर्शोन्मुख कर्मनिष्ठा
मनीआर्डर से भेज दिया (कहानी)
नवयुग की आधारशिला रखेंगे क्रांतिदर्शी ऋषि
सूरज ने कहा (कहानी)
मधु-संचय (कविता-संग्रह)
एक व्यक्ति ने सुधारा समूचे अपराधी वर्ग को
बदलते समय के साथ हम भी बदलें
श्रम की सार्थकता भाव-संवेदना से जुड़ने में
व्यत्कित्त्व का सर्वांगपूर्ण जादुई कायाकल्प
सद्वाक्य
सबसे बड़ा पुण्य— सेवा-साधना
शिक्षाप्रद कहानी
दैवी अनुकंपा के प्रमाण एवं तथ्य
सम्मान दो, वह स्वतः तुम्हें मिलेगा
विवाह न करने का कारण
सद्वाक्य
लेखनी के योद्धा— मनस्वी वाल्टेयर
मकान बनता है (कहानी)
निकटता और घनिष्ठता अनावश्यक नहीं
दुर्व्यसनों में रस (कहानी)
अपने से अपनी बात— विशिष्ट परिजनों के लिए कुछ विशेष
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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