नयी श्रद्धा (kahani)

November 1989

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बुद्ध के पास एक युवक आया। उनके चरणों में सिर झुकाया और आँख उठाकर एक बार देखा पुनः चरणों में झुक गया। बुद्ध ने पूछा किस लिए आये हो? युवक बोला “जिस के लिए आया था वह इच्छा पूर्ण हुई। अब कुछ न पूछना है न कहना है” बुद्ध बोले “क्या घट गया क्या पूर्ण हुआ? यह औरों को भी बता दो।” वहां सत्संग में कोई दस हजार भिक्षुओं की भीड़ थी। किन्तु किसी को कुछ दिखाई नहीं दिया। मात्र इतना ही दिखाई दिया कि युवक आया चरणों में झुका किन्तु क्या घटित हुआ क्या परिवर्तन हो गया यह किसी को कुछ दिखाई नहीं दिया। युवक बोला “मैं बदलने आया था। बदल गया हूँ। मेरी आत्मा में जिस क्रान्ति के लिए चाह भी उसके पूर्ण होने के लिए विश्वास मिल गया है। कोई भरोसा पैदा हो गया है। एक विश्वास के साथ मैं बदल गया हूँ। नयी श्रद्धा ने जन्म ले लिया है। बुद्ध को देखकर मुझे विश्वास हो गया है जो बुद्ध में हो सकता है वह मुझ में भी हो सकता है। बुद्ध मेरा भविष्य है। जो मैं कल हो सकता है। वह बुद्ध आज है। इस भरोसे के साथ चरणों में झुका और वापस उठा, तो मैं दूसरा आदमी हो गया।”


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