दैवी चेतना न किसी से पक्षपात करती है, न किसी को दीन-हीन अथवा संकटपूर्ण स्थिति में रहने देना चाहती है। कई बार इस माध्यम से कई लोगों को महत्वपूर्ण सूचनाएँ मिलती हैं, जबकि अनेक लोग इस संपर्क से सर्वथा वंचित बने रहते है। ऐसे प्रकरणों में दैवी सत्ता की कृपा कुछ व्यक्ति विशेषों पर ही क्यों होती है? इसके मूल में पात्रता को ही प्रधान कारण मानना चाहिए।
अमेरिका के चार्ल्स फिल्मोर एक सात्विक व सन्त प्रकृति के व्यक्ति थे। वे अपना कुछ समय नित्य ही ध्यान-साधना में लगाया करते थे। अपने उत्तरार्ध जीवन में उन्होंने जिस ‘सोसायटी ऑफ सायलेण्ड यूनिटी’ नामक संस्था की स्थापना की थी, उसकी अभिप्रेरणा उन्हें दैवी सत्ता द्वारा ही प्राप्त हुई थी। बाद में इस संस्थान ने अमेरिका एवं विश्व के अनेक देशों में अध्यात्म का संदेश पहुँचाने एवं लोगों को एक उत्कृष्टा के मार्ग पर ले चलने का एक अभियान शुरू किया, जिसके परिणाम काफी उत्साहवर्धक रहे। अभी भी यह संस्था पूरी तरह सक्रिय है।
भगवान बुद्ध को राजपाट छोड़कर संन्यासी बन जाने और बाद में बुद्धत्व प्राप्त कर समस्त विश्व को सत्य, अहिंसा, प्रेम, सदाचार के अध्यात्म पर पर ले चलने की प्रेरणा भी दैवी चेतना ने ही दी थी। एक दिन उन्हें ऐसी अनुभूति हुई जैसे कोई कह रहा हो कि सामान्य मनुष्य जन्म लेता है, और पेट प्रजनन की सामान्य प्रक्रिया से गुजरते हुए भरण को प्राप्त होता है। तुम्हारा जन्म जीवन को इस प्रकार गुजारा देने के लिए नहीं हुआ। तुम्हें असाधारण कार्य करना है। इसके लिए स्वयं को तैयार करो। जीवन सम्पदा का सदुपयोग और संसार का मार्ग दर्शन करने के लिए जुट पड़ो। इस दिव्य संदेश के बाद से ही उनके मन में वैराग्य उदय हुआ और राज्य पाट छोड़ कर वे तप करने चल पड़े। बाइबिल के बारे में कहा जाता है कि रेविलेशन के सारे संदेश और भविष्यवाणियां मानवी हृदय में ‘इलहाम’ के रूप में उतरे है। ग्रहणकर्त्ता के बाद में उन्हें पुस्तकाकार का रूप दिया। ऐसा ही मान्यता ज्ञान-विज्ञान के अगाध भण्डार वेदों के बारे में है।
अचेतन मन के माध्यम से दैवी संकेतों का मिलना एक महत्वपूर्ण तथ्य है। अब से 600 वर्ष ईसा पूर्व बेबीलोन के राजा ने बूचाउ को इसी के माध्यम से यह संदेश मिला था कि उसका शीघ्र ही पतन होने जा रहा है।
मेडिया के राजा अस्ट्यागेस पूर्वाभास हुआ था कि उनकी लड़की राजकुमारी मैण्डेना का विवाह एक अन्तर्जातीय लड़के से हो गया है। उससे जो पुत्र पैदा हुआ उसने राजा को पदच्युत कर राज्य छीन लिया। वह इस पूर्वाभास से इतना घबराया कि राजकुमारी की शादी से सामान्य सीधे-साधे पारसी युवक से करदी, ताकि राज्य और राजा को उससे किसी प्रकार की हानि की संभावना न रहे, पर होनी को नहीं टाला जा सका। उनसे जो पुत्र हुआ, उसने न सिर्फ अस्ट्योगेस को ही पराजित किया, वरन् दूर-दूर तक अपने राज्य का विस्तार किया और साइरस महान कहलाया।
मिश्र के राजकुमार तुल्मेस को एक बार एक दिव्य संदेश प्राप्त हुआ कि तुम्हें छोटे राज्य का न रहने दूँगा। बड़े क्षेत्र का शासक बनाऊँगा। ऐसा ही हुआ। बड़े क्षेत्र का शासक बनाऊँगा। ऐसा ही हुआ। राजगद्दी पर बैठते ही परिस्थितियाँ उसके अनुरूप बनने लगीं और सचमुच कुछ ही वर्षों में वह एक बड़े साम्राज्य का शासक बन गया। दैवी प्रेरणा सदैव पवित्र अंतःकरण में अवतरित होती है व भविष्य की झाँकी दिखा जाती है।