दैवी कृपा का प्रवाह (kahani)

November 1989

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कालविन कैम्पबेल स्काटलैण्ड के हाईलेण्डर की 13 नं. की कम्पनी के ऑफिसर थे। उन्होंने बेलकछावा की लड़ाई में ऐसे समय, जब बाजी उलटी जा रही थी, सिपाहियों से जोर देकर कहा “कि जो सिपाही जहाँ खड़े हों वहीं मर जायँ।” इस साहसपूर्ण वचन न ऐसा जादू किया मानो कोई अदृश्य सत्ता एक साहसिक प्रवाह बन कर सभी सैनिकों को आन्दोलित कर रही हो। इतना वचन सुनते ही प्रत्येक सिपाही ने उत्तर दिया “सरकालविन हमस ब यहीं मरेंगे, यही मरेंगे।”

सभी सैनिक मुट्ठी भर होते हुए भी दैवी कृपा एवं आन्तरिक शक्ति से ऐसे लड़े कि हारी बाजी उलट गई। साहस करने वालों के साथ दैवी कृपा का प्रवाह अपने आप जुड़ जाता है।


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