संगीत द्वार काया एवं मन का उपचार

November 1989

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

संगीत के बारे में प्रायः जन साधारण की मान्यता है कि यह मन बहलाने अथवा मनोरंजन का साधन है, अथवा भजन, पूजन में कविताएँ, छन्द आदि भगवान के गुणानुवाद की काम की चीज है। वस्तुतः संगीत के और भी उपयोग है। यह मनुष्य की ही नहीं मूक पशु पक्षियों तक की भावनाओं को प्रेरित करने में सक्षम है। मनुष्य समझदार होने के कारण और अधिक लाभान्वित होता है। उसकी कोमल भावनाएँ झंकृत ओर तरंगित होती है। इसमें उसके अन्दर करुणा, रौद्र, वीर, वात्सल्य, ममता, दया, उदारता आदि की प्रसुप्त भावनाएँ उभरती हैं। शारीरिक, मानसिक रोगों के निवारण एवं उत्कृष्टता की दिशा में बढ़ चलने की प्रेरणा प्रवाह उमगाने का अद्भुत समन्वय संगीत की मधुर स्वर लहरियों में भरा पड़ा है। आवश्यकता सदुपयोग कर उससे लाभान्वित होने भर की है।

मन के बोझ को, हताशा, निराशा, उद्विग्नता को कम करने या छुटकारा दिलाने में संगीत सर्वोत्तम साधन है। इस तथ्य से प्रख्यात ग्रीक दार्शनिक प्लेटो भी भली−भांति सुपरिचित थे। वह लोगों के मन की सड़ाँध के विरेचन के लिए संगीत को एक अच्छा माध्यम मानते थे। संगीत की स्वर लहरियों से सुषुप्त एवं निष्क्रिय माँसपेशियों, नस नाड़ियों को जाग्रत एवं उत्तेजित किया जा सकता है। भावनाओं में रची, पची, कटुता को मधुरता में, तनाव को शिथिलता और शान्ति में परिणित करने का संगीत एक सशक्त एवं कारगर उपाय उपचार है। मानसिक रोगों में संगीत उपचार एक सफल माध्यम है।

अनुसंधानकर्ता वैज्ञानिकों ने आलस्य प्रमाद को दूर करने में सरस एवं कोमल रोगों का प्रलाप उपयुक्त पाया है। यदि ये रोग लयबद्ध, शुद्ध और नियत समय पर गाये बजाये जाते है तो इनके लाभ की अधिक सुनिश्चितता और सम्भावना रहती है। पाश्चात्य देशों में कितने ही अस्पतालों में औषधियों के साथ सुमधुर संगीत का प्रयोग किया जाता है। कितने ही डाक्टर विशुद्ध संगीत के सहारे ही इलाज करते हैं। म्यूनिख के डाक्टर लुडविन ने मानसिक रोगियों के लिए विशेषतया किशोर बच्चों के लिए एक अलग से संगीत अस्पताल बनाया है। जिनमें न केवल रोगों की चिकित्सा की जाती है, वरन् ध्वनि विशेष के आधार पर उनकी कुटेवों को भी दूर किया जाता है।

मूर्धन्य मनोरोग चिकित्सक पीटर न्यूमैन और माइके सेनडर्स, ने एक ऐसी मनोरोग चिकित्सालय आरम्भ किया है जहाँ उपचार में संगीत वादन का ही प्रयोग किया जाता है। रूस में भी प्रो. एस.बी. कोदाफ स्नायविक रोगों की चिकित्सा में संगीत का प्रयोग कर रहे हैं। शिकागो में डाँ. बेकर तथा डाँ. वर्ड मैन और बुकलिंग ने आपरेशन के समय संगीत के अच्छे परिणाम देखे है। अमेरिका, फ्राँस, जर्मनी और जापान में अब संगीत चिकित्सा सामान्य हो गई है। उसे न केवल स्वास्थ्य संवर्धन के लिए वरन् शारीरिक और मानसिक दृष्टि से दुर्बल व्यक्तियों के लिए शक्ति संचार के माध्यम के रूप में प्रयोग किया जाने लगा है। जिन रोगियों को असाध्य मानकर समाज में बहिष्कृत, तिरस्कृत और निष्कासित कर दिया जाता है। वास्तव में वे पूर्णरूप से बेकार नहीं हो पाते। प्रायः ऐसे लोग भावनाओं को गहरा आघात अथवा ठेस लगने के कारण अपना सन्तुलन खो बैठते हैं। ऐसे दयनीय रोगियों की भावनाओं को जाग्रत करने की आवश्यकता होती है। संगीत चिकित्सकों ने ऐसे कार्यों में संगीत को एक सफल उपचार के रूप में पाया है।

संगीत लहरियों के माध्यम से प्रसुप्त निष्क्रिय माँस-पेशियों को जगाया व उत्तेजित किया जा सकता ह। दुर्भावनाओं को मिटाकर मधुर रस का अभिसंचार किया जा सकता है। यही कारण है कि तनाव दूर करने एवं मनःचिकित्सा का पूरा समग्र तंत्र स्थापित करने में इसकी महता को अब समझा जा रहा है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118