अतीन्द्रिय क्षमता कोरी करामात नहीं

November 1989

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

पूर्वाभास, भविष्यकथन, दूरदर्शन, दूरश्रवण, परोक्षज्ञान जैसी घटनाएँ अब भूत, पलीत, देवी देवताओं की करामात अथवा संयोग न मानकर पूर्णतः विज्ञान सम्मत मानी जाने लगी हैं। सामान्यतः ज्ञानेन्द्रियों की सहायता से ही ज्ञान प्राप्त होता है, किन्तु मनोवैज्ञानिकों की शोध के अनुसार एक छटी इन्द्रिय भी है जो ऐसी जानकारियाँ देने में समर्थ है जिसे मन, बुद्धि से परे कहा जाता है। चेतना की गहन पतों की खोज-बीन से अब इस रहस्य पर से पर्दा उठा है कि अतीन्द्रिय सामर्थ्य बाह्य उपार्जन नहीं, वरन् आन्तरिक उद्भव है। अभी तक हमें मानवीय सत्ता के थोड़े से ही अंश और शक्तियों की जानकारी है इससे भी अनन्तगुनी सम्भावनाएँ सत्ता के गहन अन्तराल में छिपी पड़ी है। धरती की ऊपरी पर्त में भले ही घास-पात उगाने की क्षमता हो किन्तु गहराई में खोदने पर बहुमूल्य खनिज सम्पदा उपलब्ध होती है, ठीक इसी प्रकार शारीरिक श्रम और मानसिक शक्ति से आगे की गहराई में उतरने पर उस क्षमता का अस्तित्व सामने आता है जिसे अतीन्द्रिय क्षमता अथवा दैवी शक्ति के नाम से पुकारा जाता है।

पाश्चात्य मनोवैज्ञानिक अतीन्द्रिय क्षमताओं की गहरी खोज में लगे है। उन्होंने परोक्ष दर्शन, भविष्यगत ज्ञान, भूतकालिक ज्ञान, और विचार सम्प्रेषण पर अनुसंधान भी किया है साथ ही अनेकों ऐसे प्रमाण जुटाने का प्रयास किया है जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि भारतीय योग शास्त्रों में ऋद्धियों, सिद्धियों का जो वर्णन मिलता है वह मिथ्या नहीं वरन् सत्य है।

अतीन्द्रिय क्षमता की भौतिक अभिव्यक्ति का सर्वप्रथम वैज्ञानिक परीक्षण फ्राँस के प्रसिद्ध वैज्ञानिक काउट एगेनर डी गेस्परिन ने किया था। उन्होंने अन्य वैज्ञानिकों को साथ लेकर एक प्रयोग किया और देखा कि कुछ वस्तुओं को बिना स्पर्श किये एक स्थान से दूसरे स्थान पर हटाने की क्षमता रखते है। बिना स्पर्श किये हटाने वाली शक्ति को उसी प्रकार उन्होंने मापा जैसे भौतिक विज्ञानी गुरुत्वाकर्षण शक्ति को नापते है। अभी तक किसी वस्तु का गुरुत्वाकर्षण नियमों के विरुद्ध अधर में झूलना या ऊपर उठना उस शक्ति के नियमों के प्रतिकूल माना जाता रहा है, किन्तु देखा गया है कि यह कार्य मानव अपनी प्रचण्ड आत्म शक्ति के बल पर सम्भव कर दिखा सकता है।

इसी प्रकार “जनरल ऑफ साइंस” पत्रिका में प्रोफेसर विलियम क्रुक्स के अनुसंधान की रिपोर्ट का विवरण मिलता है। जिसमें उन्होंने डेनियल होम की अतीन्द्रिय क्षमता के बारे में प्रकाश डाला है। डेनियल बड़ी सरलता से बिना स्पर्श किये किसी वस्तु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर देता था। बिना स्पर्श किये वाद्य यंत्रों को बजा कर बता देता था। आगे क्रुक्स लिखते हैं कि वह भार तौलने की मशीन के एक बोर्ड के सिरे को छू भर देता था कि मशीन कम या ज्यादा भार बताने लगती। आत्मशक्ति द्वारा जड़ पदार्थ को प्रभावित करने वाला, वैज्ञानिक को आश्चर्य चकित करने वाला यह एक अनूठा प्रयोग था।

वस्तुतः अतीन्द्रिय क्षमता सूक्ष्म शरीर का मस्तिष्क चेतना का विषय है। मस्तिष्क ब्रह्मांडीय चेतना से संपर्क बना सकने और उस क्षेत्र की जानकारियाँ प्राप्त कर सकने में समर्थ है। अविकसित स्थिति में उसे ज्ञान प्राप्त करने के लिए इन्द्रियों जैसे सामान्य उपकरणों पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे उस सीमित जानकारी के आधार पर अल्पज्ञ बन कर रहना पड़ता है। किन्तु जब मस्तिष्क चेतना का अपेक्षाकृत विकास हो जाता है, तब फिर बिना इन्द्रियों के सहारे दूरवर्ती घटनाओं तथा अविज्ञात के रहस्यों पर से पर्दा उठने लगता है। अन्तरिक्ष के अंतराल में अनन्त छिपी घटनाओं, सम्पदाओं, विभूतियों, शक्तियों, ऋद्धियाँ, सिद्धियों की जानकारी मिलने लगती है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118