Quotation

November 1989

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विवेकानन्द ने कहा था-न मुझे भक्ति की परवाह है, न मुक्ति की। मैं ऐसा वासन्ती जीवन जीना चाहता हूँ जिससे हर ओर प्रसन्नता और खुशहाली का वातावरण बने।


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