फूलों की पावनता भरलें सब अपने प्राण में। विकसित करें पराग तो प्यारी खुशबू उड़े जहान में॥
फूल रखा जाता है ईश्वर पूजा के शुचि थाल में। गूँथा जाता है प्रमाण सा, परिणय की जयमाला में॥
ऐशी सुचिता, प्रामाणिकता हो जीवन के हर गान में॥ जिससे मिलें, उड़ेले प्राणों की ममतामय भावना।
प्यार बाँटना ही बन जाये इस जीवन की साधना॥ आएँ सब, ऐसा जादू हो अपनी मुस्कान में॥
सेवा और त्याग की सीढ़ी से सब ऊपर ही ऊपर चढ़ें। बिना दिये धक्का औरों को, जीवन के पथ पर बढ़े॥
दुख में दुखी न हों अभियान न आने दें सम्मान में॥ यों मानवता के चरणों पर फूल सदृश चढ़ जाएँ हम॥
तज दुर्भाव सद्गुणों की सुँदरता को अपनाएँ हम॥ भर जाएगा मधुर कर्णाप्रेय स्वर जीवन के गान में॥
-माया वर्मा