सद्वाक्य

December 1989

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मनुष्य का अच्छा स्वभाव ही उसका सौंदर्य है। वह कुरूपता की कमी पूरी कर सकता है, किंतु बुरे स्वभाव के रहते देवताओं जैसे सौंदर्य का भी कोई मूल्य नहीं।


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