महामना मालवीय जी को एक विद्वान ने चुनौती दी— “आप मुझे कोई भी चुनकर सौ गालियाँ देकर देख लें। मुझे क्रोध नहीं आएगा।” मालवीय जी ने कहा— “भला यह भी कोई चुनौती हुई, इससे तो मैं हार ही जाऊँगा, क्योंकि पहली बात न मुझे सौ गालियाँ याद हैं और यदि याद भी होती तो मैं अपनी जुबान क्यों फूहड़ करता और अभद्र बनने की हिमाकत क्यों करता।”