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Akhand Jyoti
Year 1989
Version 2
सद्वाक्य
सद्वाक्य
December 1989
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उच्च विचार सेना से अधिक बलवान है। जिसके पास सिद्धांतों की शक्ति है, वह कहीं भी हारता नहीं।
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Page Titles
अगले दिनों अखण्ड ज्योति की पाठ्य सामग्री!
आतंक में स्थिरता कहाँ है?
सद्वाक्य
उत्कृष्टता का अभिनव उद्भव
सद्वाक्य
जिसने कारावास को साधनास्थली बनाया
सद्वाक्य
विज्ञान की समग्रता जीवन मूल्यों के साथ जुड़कर ही
माया महाठगिनी
बेसहारों का मसीहा
समर्पित साधिका
मानवी पुरुषार्थ का पूरक— अध्यात्मबल
विचारशीलता का परिमार्जन
सद्विचार
मनीषी की सेवा-साधना
अपना देश बनेगा सारी दुनिया का सरताज
मरण के बाद भी है एक विलक्षण दुनिया
प्रतिकूल मौसम से भी मोर्चा लीजिए
कहानी & सद्विचार
संपदा का उपभोग नहीं, उपयोग
संकल्प जो फलीभूत हुआ
सदुक्ति
विचारणीय— मननीय
अखण्ड ज्योति सदस्यों का निजी परिचय
निम्नलिखित दो उत्तरों को विस्तार से लिख दें
दैवी सत्ता द्वारा अदृश्य सहायता
अपराधबोध— सच्चा पश्चात्ताप (कहानी)
प्रगतिशील अध्यात्म ही युगानुकूल
सद्विचार
अंतरंग को स्वस्थ व निर्मल बनाएँ
आत्मविश्वास— एक जीवन मूरि
स्वप्न दिखते क्यों हैं?
प्रार्थना की प्रचंड शक्ति
परंपराएँ कभी शाश्वत नहीं होती
प्रकृति और मानव परस्पर अन्योन्याश्रित
अभिनेता नहीं, युग सृजेता बनें
कहानी
परस्पर जुड़े हैं, जुड़े ही रहें!
सदुक्ति
विश्व एकता की दिशा में एक अकिंचन प्रयास
मधु संचय— करुणा-प्रवाह (kavita)
जागरण गान (कविता)
प्यार भरा संसार (कविता)
जीवन तुम्हीं से भगवन (कविता)
स्वच्छता, सुगढ़ता के पक्षधर— जीव-जंतु
हिमाकत क्यों करता (कहानी)
महानता का प्रगति-पथ
नवयुग महर्षि अरविंद की दृष्टि में
नवयुग का मत्स्यावतार
अधिक घनिष्ठता और निकटता की आवश्यकता
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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