मरने के बाद तो कुत्ते भी समाधिस्थ हो जाते हैं। समझदारी इसमें है कि कठिनाइयों के बीच शांत संतुलित ठहरा जा सके। जब बछड़ा गले की रस्सी तुड़ा सकता है तो तुम भव बन्धनों को क्यों काट नहीं सकते?