मात्र ऊँचाई और विशालता से ही कोई बड़ा नहीं होता संसार के अधिकाँश महामानव साढ़े पाँच फुट से कम ऊँचे ही हुए हैं। पर इसी सामान्य आकार-प्रकार वाले शरीर से वे ऐसे कार्य कर गये, जिससे कितनों को ही नई दिशा व प्रेरणा मिली, कितनों के जीवन धन्य बन गये। किन्तु विश्व में ऐसे भी लोग हुए हैं, जिनका आकार असाधारण हो पर उनमें ऐसे विशेषता नहीं दीखती, जिससे समाज और समुदाय की किन्हीं समस्याओं का हल होता हो अथवा स्वयं के व्यक्तिगत जीवन में कोई कहने लायक सफलता अर्जित की हो। इसलिए उनका बड़प्पन मात्र कौतूहल बन कर रहा जाता है।
ईरान के बशरा शहर का सिपाद खाँ ऐसा ही व्यक्ति था। शरीर तो उसे भीमकाय मिला था, मगर वह उसका उपयोग मात्र प्रदर्शन के रूप में करता रहा। उसकी लम्बाई 8 फुट 10 इंच और सीना साढ़े तीन फुट था। चाहता तो वह इस विशाल शरीर का उपयोग किसी ऐसे काम में कर सकता था जो साधारण डील-डौल वाले शरीर से किसी भी प्रकार सम्भव नहीं। इससे जहाँ एक ओर उसकी बलिष्ठता का लाभ समाज को मिलता, वहीं दूसरी ओर उसकी वरिष्ठता भी सिद्ध होती, किन्तु उससे अपना सारा जीवन बल प्रदर्शन में लगा दिया। कभी भारी भरकम लोह खण्ड उठा कर लोगों को अचरज में डालता तो कभी जंगली जानवरों से कुश्ती का नुमाइश आयोजित करवाता। इससे अधिक वह कुछ नहीं कर सका। ऐसे करतबों से कौतुक कौतूहल तो पैदा किया जा सकता है, पर समय और समाज को आगे बढ़ाने वाली प्रेरणा नहीं दी जा सकती और न ही श्रेष्ठता उपार्जित की जा सकती है।
वर्ल्ड रिकार्डस की किताबों में विश्व काशों में ऐसे अनेक हैं, जो अजूबों के कारण विख्यात है। अक्टूबर 71 की “अवकाश” पत्रिका के “सबसे ऊँचे वृक्ष” स्तम्भ में बताया गया हैं कि उतरी अमेरिका के कैलीफोर्निया प्रदेश में दुनिया के सबसे ऊँचे वृक्ष “पैसिकोइया” पाये जाते हैं। ऊँचाई के मामले में ये सबसे आगे तो हैं ही, उम्र भी इनकी सबसे अधिक होती हैं। वैज्ञानिकों ने पैसिकोइया वृक्षों की आयु 2000 से 3000 वर्ष के करीब आँकी है। इन वृक्षों में 70 वर्ष की उम्र में बीज बनना प्रारम्भ होता है और 3000 वर्ष बाज बीज पकते।
कुतुबमीनार की ऊँचाई 238 फुट है, लेकिन पैसिकोइया नामक वृक्ष कुतुबमीनार से भी ऊँचे होते हैं। पैसिकोइया वृक्षों में सबसे ऊँचे वृक्ष का “फाउडर्स ट्र” कहते हैं। जो 364 फुट ऊँचा है। साथ के अन्य वृक्ष भी 340 फुट से अधिक ऊँचे हैं।
बहुत से पैसिकोइया वृक्षों की मौत हो चुकी है। एक गिरा हुआ वृक्ष काफी दूरी घेर लेता है। इन वृक्षों का व्यास व आयतन भी काफी अधिक होती है। सन् 1881 में एक वृक्ष के तने को जड़ के पास खोखला करके रास्ता बनाया गया था, जिसमें से होकर मोटर कार और घोड़ा गाड़ी अजा भी आसानी से निकल जाती हैं।
इसी प्रकार एक अजूबा सैन जाँस कैलीफोर्निया में विचेस्टर हाउस के रूप में बना खड़ा है। इसकी मालकिन सारा विचेस्टर अपने जीवन काल के अंतिम अड़तीस वर्ष तक अपने मकान के निर्माण कार्य में लगी रहीं, जिसमें दो हजार दरवाजे एवं दस हजार खिड़कियाँ थीं। आठ मंजिल की इस इमारत में जो छह एकड़ भूमि मैं फैली हुई है, एक सौ साठ कमरे थे। सन् 1922 में जब इकलौती श्रीमती विचेस्टर की लाश उस मकान से निकली, तब से अब तक वह भवन खण्डहर जैसी स्थिति में निरुद्देश्य खड़ा हो पूछता रहता है कि मुझे बनाने का इतनी धनराशि के अपव्यय का उद्देश्य क्या था?
ऐसे कितने ही मनुष्य दुनिया के इतिहास में देखे जा सकते हैं, जिनके महल किले जमीन जायदाद व वैभव काफी विस्तृत होते हैं। उनका बड़प्पन संसार के लिए कोई ऐसा आदर्श नहीं छोड़ता जिससे कि सर्वसाधारण को उनसे राहत मिले या अनुकरण करने की प्रेरणा हस्तगत हो।