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Akhand Jyoti
Year 1983
Version 2
अपनी बातअखण्ड...
अपनी बातअखण्ड ज्योति के कलेवर ओर मूल्य में परिवर्तन
November 1983
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वर्ष-46 सम्पादक - श्रीराम शर्मा आचार्य अंक-11
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Page Titles
अपनी बातअखण्ड ज्योति के कलेवर ओर मूल्य में परिवर्तन
अध्यात्म क्षेत्र की सफलता का सुनिश्चित मार्ग
श्रद्धा की सही कसौटी
आत्म सत्ता की गौरव गरिमा
साथ-साथ चले (kahani)
न आशा भली न निराशा
अजस्र अनुदानों से भरी-पूरी परब्रह्म की सत्ता
आत्म बोध एक दिव्य वरदान
बुद्धिमता जाँचने के लिए (kahani)
वरदान जो अभिशाप बने
आज के युग का समुद्र मंथन
प्रेम भावना और नैतिकता अन्योन्याश्रित
Quotation
एक गुरु के दो शिष् (kahani)
मानवी क्षमता की रहस्यमयी पृष्ठभूमि
आदर्श निर्धारित है (kahani)
सूक्ष्म शरीर की दिव्य ऊर्जा और उसकी विशिष्ट क्षमता
एक थे सेठ (kahani)
सफलताएँ संकल्प भरे प्रयासों के चरण चूमती हैं।
किसी अविज्ञात गतिचक्र से बंधा जीवन तन्त्र
बहुत से गुलाम पकड़े (kahani)
अन्तर्ग्रही आदान प्रदान का एक मात्र आधार अध्यात्म
रेशम का थान था (kahani)
बुद्धिमान पशु पक्षी भी होते हैं।
आकाश ने अपने विशाल अँचल (kahani)
मनुष्य और धरातल का तेजोवलय
महर्षि धोम्य (kahani)
प्रवाह में बहकर मनुष्य प्रेत-पिशाच भी हो सकता है।
आशुतोष ने वरदान माँगने के लिए (kahani)
हम एकता और एकात्मता की दिशा में बढ़ चलें
आदमी को बनाया (kahani)
यज्ञ सान्निध्य से देवत्व और वर्चस् की प्राप्ति
शिष्य मण्डली समेत (kahani)
यज्ञ से संधि पीड़ा का निराकरण
ब्रह्मा जी की दो पुत्रियाँ (kahani)
ब्रह्मविद्या और आत्मबल बढ़ा सकने वाली शक्ति– महाप्रज्ञा
योग निद्रा-विश्रान्ति के साथ पूरी नींद का लाभ
अकबर के दरबार में (kahani)
सफल साधना की पृष्ठभूमि और आधार
युग समस्याओं के समाधान में नियन्ता की परोक्ष भूमिका
स्वामी रामकृष्ण बगीचे में (kahani)
युग परिवर्तन परिकल्पना नहीं - सुनिश्चित सम्भावना
दिवाली से होली के बीच दुहरे लाभ वो सत्र
प्रज्ञा पुत्रों की प्रतिज्ञा (kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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