आदमी को बनाया (kahani)

November 1983

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भगवान ने आदमी को बनाया और धरती पर रहने का आदेश दिया। मनुष्य अनमना हो गया। स्वर्ग छोड़कर धरती पर क्या मिलेगा! व्यर्थ के झंझट सहने पड़ेंगे। भगवान ने उसका असमंजस समझा और दो हाथों में दो घड़े थमा दिये। उनका सम्बन्ध और उपयोग बताते हुए कहा-“पहले में धर्म है दूसरे में सुख। पहले को सम्भालना दूसरा भरा रहेगा।”

आदमी सन्तोष की साँस लेकर धरती की ओर चल पड़ा। सफर लम्बा था। रात्रि हुई और वह सो गया। घड़े पास में रख लिए कहते हैं कि शैतान ने इसका लाभ उठाया। घड़ों को उठाकर अदल-बदल कर दी। आदमी चला तो उसके पहले हाथ में सुख था, दूसरे में धर्म। सारी विधा उलट गयी। भटकाव ने आदमी से कुछ का कुछ करा दिया। वह सुख को प्रथम मानता है। फलतः दूसरा घड़ा खाली पड़ा रहता है और समन्वय के बिना सब कुछ अस्त-व्यस्त पड़ा रहता है।


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