शिष्य मण्डली समेत (kahani)

November 1983

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उस दिन ईसा शिष्य मण्डली समेत किसी प्रकार यात्रा पर जा रहे थे। रात्रि हो गयी। भोजन का सुयोग न बना।

ईसा ने कहा-“तुम सबके पास जो है इकट्ठा कर लो और उसी से मिल बाँटकर का चलाओ।”

पाँच रोटी इकट्ठी हुईं। मिल-बाँटकर खायी गईं। हिस्से में आधी-आधी भी ने आयी तो भी सबका पेट भर गया।

सोलोमन ने पूछा - “महाप्रभु यह कैसा आश्चर्य ? इतने कम से इतनी तृप्ति कैसे ?”

ईसा ने कहा - “यह मिल-बाँटकर खाने का चमत्कार है।”


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