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Akhand Jyoti
Year 2002
Version 2
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March 2002
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जो दीपक की तरह प्रकाश उत्पन्न करने को तैयार है, प्रभु की ज्योति का अवतरण उसी में होगा।
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Page Titles
सत्य की किरण
विद्याओं में सर्वोपरि अध्यात्म विद्या
जो समेटते हैं, वे बड़े होने पर भी भर्त्सना सहते हैं (Kahani)
शाँति से बढ़कर कोई सुख नहीं
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सफलता की कुँजी-आत्मविश्वास
सूफी संतों का अद्वैतवाद
भक्त और भगवान् की दृष्टि में अंतर (Kahani)
सही अर्थों में भारत का रत्न
गुरु ऋण और माता के ऋण को समझो (Kahani)
पर्व विशेष - भारतीय कला में अभिव्यक्त शिवतत्व
पर्व विशेष - आत्मा के मंगलकारी शिव से मिलन की रात्रि का पर्व
झगड़ते धर्म नहीं, मानवी दुर्बलता एवं अहं ही हैं
सत्य को न तो डरना चाहिए और न भागना (Kahani)
तप से श्रेष्ठ ओर कुछ नहीं
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यह जन्म एक लंबी शृंखला की कड़ी मात्र
वैदिक ऋषियों की एक परम पावन देन-गुप्तचर्या
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शिवत्व की साधना
पुण्य की अहंता एवं पाप की आसक्ति से ऊपर उठें
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एक ही सूत्र-भ्रातृत्व भाव का विस्तार
बगीचे के खिले फूल जमीन पर गिर पड़े (Kahani)
सम्मिलित प्रयास जरूरी
पं. ईश्वरचंद्र विद्यासागर (Kahani)
प्रकृति के संग हुलसने का पर्व : होली
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अंतर्चेतना में मने होलिकोत्सव
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परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी - भगवान के अनुदान किन शर्तों पर मिलते हैं
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अंतर्जगत के दो विशिष्ट वैज्ञानिक
सद्गुरु की महिमा अनंत
नकल करके पास होने की अपेक्षा, अपनी बुद्धि से अनुत्तीर्ण होना अच्छा (Kahani)
गुरुसत्ता के आध्यात्मिक जीवन की ज्योति
उपयोगी भोजन (Kahani)
युगगीता-31 - यज्ञो में श्रेष्ठतम-ज्ञानयज्ञ
असंख्य गुना समृद्धि (Kahani)
बहुआयामी व्यक्तित्व की झलक दिखाती ये चिढ्ढिया
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श्रीरामलीलामृतम्-3 - चेतना की शिखर यात्रा
जीवन विद्या का आलोक केंद्र -हमारा देवसंस्कृति विश्वविद्यालय
केन्द्र के समाचार - क्षेत्र की हलचलें
अपनों से अपनी बात - देवत्व के अवतरण की प्रयोगशाला हेतु भावनाशीलों का आह्वान
VigyapanSuchana
रुद्राभिषेक (Kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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