यह जन्म एक लंबी शृंखला की कड़ी मात्र

March 2002

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जीवन-मरण के चक्र की स्वसंचालित प्रक्रिया ऐसी है कि व्यक्ति निश्चित अवधि पूरी कर इस संसार-सागर से प्रयाण कर जाता है और उसकी अगली कड़ी के रूप में पुनः जन्म धारण कर उस शृंखला को अक्षुण्ण बनाए रहता है। इस क्रम में अक्सर व्यक्ति अपने पूर्व जन्मों को विस्मृत कर जाता है और वर्तमान जन्म ही उसे प्रथम और अंतिम प्रतीत होता है, पर कई बार उसे पूर्व जन्म की स्मृति हो जाती है, तब पता चलता है कि उसके जीवन में जो असामान्य व्यवहार था, उसके पीछे का रहस्य क्या था।

ऐसी ही नुर्जन्म से संबंधित एक घटना का उल्लेख गोय फ्लेफेयर ने अपनी पुस्तक ‘द फ्लाँइंग कार्ड’ में किया है घटना टीना नामक एक बालिका से संबंधित है। जब वह चार वर्ष की हुई, तो प्रायः अपने माता-पिता के साथ लोहार्व बंदरगाह आने-जाने लगी। वहाँ वह घंटों समुद्र के किनारे बैठी रहती और दूर से आ रहे जहाजों को देखती रहती। उनसे आने-जाने वाले यात्रियों से वह घुल-मिलकर बातें करती, पर जो यात्री या नाविक फ्राँसीसी होते, उनके साथ उसका व्यवहार दूसरों की अपेक्षा भिन्न होता। उनसे वह कुछ अधिक ही अंतरंग हो उठती और घर-परिवार के सदस्यों की तरह उन्मुक्त बातें करने लगती। यह क्रम निरंतर लंबे समय तक चलने के कारण वह आसानी से फ्राँसीसी भाषा सीख गई और भलीभाँति बोलने लगी, पर इस दौरान उसे एक विचित्र अनुभव भी हुआ। जब कोई जर्मन यात्री सामने पड़ता, तो घृणा से वह मुँह फेर लेती। उस ओर देखना तक पसंद नहीं करती। इस तरह का व्यवहार वह क्यों करती है, उसे स्वयं पता नहीं था। जर्मन ीषाडडडडडडडड से उसे वितृष्णा भी थी। अभी वह आयु में बहुत छोटी थी, पर अपने व्यवहार के इस अंतर को अच्छी तरह समझती थी। उसका बाल-मस्तिष्क इसके पीछे के रहस्य को न समझ सका। इसके माता-पिता भी उसके बर्ताव की इस विचित्रता को देख रहे थे, लेकिन किसी प्रत्यक्ष कारण के अभाव में वह गुत्थी नहीं सुलझा पा रहे थे।

एक रात टीना ने बड़ा भयानक स्वप्न देखा। उसने देखा कि युद्ध के मैदान में एक सैनिक रूप में वह भी हिस्सा ले रही है। वह एक झाड़ी के पीछे छिपी हुई है और अपने शत्रुओं पर अंधाधुँध गोली बरसा रही है। इसी मध्य पीछे की झाड़ी में कुछ सरसराहट अनुभव हुई। वह सतर्क हुई और पीछे मुड़कर देखा, तो सामने एक जर्मन सैनिक खड़ा मुस्करा रहा था। अभी वह कुछ समझ पाती कि उस जर्मन ने उस पर गोली चला दी। गोली सीने के पार निकल गईं वह घायल शेरनी की तरह उस पर झपटी और आक्रमण करने का प्रयास किया, किन्तु शत्रु की गोली ने उसके हृदय को बेध डाला था, अस्तु, वह देर तक अपनी कोशिश में सफल नहीं हो सकी और फिर शाँत हो गई। उसके प्राण निकल गए।

इस रोमाँचकारी स्वप्न को देखकर उसकी चीख निकल गई। वह नींद से चौंककर उठ बैठी और स्वप्न के निहितार्थ पर विचार करने लगी। तभी उसे ध्यान आया कि स्वप्न में उसे जहाँ गोली लगी थी, ठीक उसी स्थान पर सामने वक्षस्थल में और पीछे पीठ पर दो काले धब्बे बने हुए है। उन धब्बों को देखने से ऐसा प्रतीत होता था, मानो किसी ने उसे गोली मारी हो और उसके घाव सूखने के बाद दो काले निशान उन धब्बों के रूप में शेष रह गए हो। जब वह शरीर पर विद्यमान इन धब्बों और स्वप्न में देखे गए घटनाक्रम के बीच संगति बिठाने के लिए उस पर बार-बार विचार करने लगी, तो धीरे-धीरे फिल्म पर छाई धूल की परत की तरह उसकी पूर्व जन्म की स्मृति साफ होने लगी। उसे आभास हुआ कि पहले जन्म में वह एक फ्राँसीसी थी। उसकी माता का नाम अंजाला तथा पिता का नाम सेवित्रे था। वह फ्राँस की राजधानी पेरिस की निवासी थी। उसका अपना नाम एलेक्स अमादादो था। इसके अतिरिक्त और भी बहुत सारी जानकारियाँ स्वतः ही हो गई। जब इन सबकी जाँच की गई तो सब सत्य पाए गए। जिस प्रकार ऑडियो-वीडियो टेपों में दृश्य और ध्वनियाँ रिकॉर्ड हो जाती है, उसी प्रकार की मानवी मस्तिष्क की बनावट है। उसमें अनेक जन्मों की अनेकों घटनाएं और जानकारियाँ सुरक्षित और संरक्षित होती है। यदा-कदा यही स्मृतियाँ उभरती और पुनर्जन्म के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत होती रहती है, तब ज्ञात होता है कि हमारा यह प्रथम जन्म नहीं, वरन् जन्म-मरण की लंबी शृंखला की एक कड़ी मात्र है।


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