रात की आँधी में बगीचे के खिले फूल जमीन पर गिर पड़े और उसके नीचे दब गए।
कई दिन बाद माली ने इस मिट्टी को बर्तन माँजने के लिए उठाया, तो वह महक रही थी। वह इसका कारण खोजने लगा।
दबे हुए फूलों ने कहा, “हम मिट्टी की गोद में खेले और अपनी खुशबू उसे प्रदान की, पर साथ ही यह भी देखो कि गलने की स्थिति में भी हमने मिट्टी को महकाया है।”
लोग किले के कँगूरे की शोभा देखकर प्रसन्नता व्यक्त कर रहे थे और उसकी सुदृढ़ दीवारों को आश्चर्यजनक निहार रहे थे।
मध्यवर्ती ईंटें मुस्कराईं और अपनी अनगढ़ भाषा में बोलीं, “दर्शकों! तुम उन नींव के पत्थरों की गरिमा क्यों नहीं खोज पाते, जिनकी पीठ पर इस विशाल दुर्ग का ढाँचा खड़ा है और जिन्होंने जान-बूझकर ख्याति से मुँह मोड़ा है।