ईसा के शत्रु उनकी जान के ग्राहक बने हुए थे। शिष्यों ने सलाह दी, हमें येरुशलम छोड़कर कहीं अन्यत्र चल देना चाहिए।
ईसा सहमत नहीं हुए और कह, “सत्य को न तो डरना चाहिए और न भागना। परीक्षा की कसौटी से तो वह और अधिक निखरता है।”