केन्द्र के समाचार - क्षेत्र की हलचलें

March 2002

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

देवसंस्कृति विश्वविद्यालय विधिवत् अनुमोदित

उत्तराँचल सरकार की कैबिनेट ने एक सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय में हरिद्वार के शाँतिकुँज द्वारा देहरादून (हरिपुर कलाँ) में गायत्री कुँज में बनाए जा रहे देवसंस्कृति विश्वविद्यालय को विधिवत् मान्यता दे दी हैं साधुवाद के योग्य यह कार्य एक विशेष अधिनियम बनाकर किया गया है, जिस पर महामहिम राज्यपाल महोदय ने हस्ताक्षर किए है। यह विश्वविद्यालय पूर्णतः स्वायत्तशासी होगा, आर्थिक सहायता हेतु शासन से कोई भी मदद न लेगा एवं संस्थापक सत्ता के कार्यों को जन-जन तक पहुँचाने देवसंस्कृति के निर्धारणों को विद्या-विस्तार के माध्यम से लोकव्यापी बनाने का कार्य करेगा। नए वर्ष की वेला में एक जनवरी को उत्तराँचल के मुख्यमंत्री सत्यमित्रानंद जी द्वारा धर्मतंत्र के प्रतीक के रूप एक-एक दीप जलाकर उत्तराँचल व भारत के कोने-कोने से आए परिजनोँ के बीच इस स्थापना के विषय में विस्तार से जानकारी दी गई। विश्वविद्यालय के विषय में विशेष इसी अंक में पढ़ें।

शांतिकुंज के साहित्य विस्तारपटल अब स्थान-स्थान पर

पिछले दिनों उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में शाँतिकुँज साहित्य विस्तारपटल की स्थापना की गई। इंदिरानगर के सेक्टर 9/189 स्थित गायत्री ज्ञान मंदिर में इसका विधिवत शुभारंभ किया गया। लखनऊ, कानपुर, फैजाबाद, देवीपाटन (गोंडा), इलाहाबाद, बरेली तथा झाँसी के सात मंडल इस विस्तारपटल का लाभ ले सकेंगे। अब सारे भारत में इनकी संख्या चौदह हो गई है। पहले से ही नागपुर, वाराणसी , मुजफ्फरपुर, टाटानगर, गया, बुलंदशहर, शिवपुरी, राजसमंद, देवरिया, इंदौर, कोटा, विलासपुर, भीलवाड़ा में ये सक्रिय है। मिशन का सारा साहित्य, अखण्ड ज्योति सहित सभी पत्रिकाएं तथा आँडियों-वीडियो कैसेट्स, वनौषधियाँ, प्रज्ञापेय अब केंद्र के अतिरिक्त यहाँ से भी मंगाए जा सकते है। इनका उद्देश्य है-ज्ञानयज्ञ-विचारक्राँति का आलोक विश्वव्यापी बनाना।

जयति जय गौ माता एवं सद्ज्ञान वंदना कैसेट का विमोचन

गायत्री तपोभूमि मथुरा के तत्वावधान में लिखी गई गौ संरक्षण, गौमाता की महिमा का प्रतिपादन करने वाली पुस्तक ‘जयति जय गौ माता’ का विमोचन सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने शास्त्री भवन नई दिल्ली में किया। श्रीमती स्वराज एवं सूचना प्रसारण राज्यमंत्री श्री रमेश बैस ने ‘सद्ज्ञान वंदना’ नामक ऑडियो कैसेट माला को भी लोकार्पित किया। दोनों ही गायत्री तपोभूमि मथुरा से प्राप्त किए जा सकते हैं।

तिरूपति अश्वमेध का अनुयाज प्रारंभ

अब दिसंबर के अंतिम सप्ताह में संपन्न हुए तिरूपति अश्वमेध महायज्ञ का अनुयाज दक्षिण के चारों प्राँतों में आरंभ कर दिया गया हैं। विगत दिनों तेलुगु, तमिल, मलयाली, कन्नड़ प्रशिक्षण में जिन भाई-बहिनों ने भागीदारी की थी, उन्हीं के पुरुषार्थ से उन्हीं की भाषा में बात कर हम दक्षिण में प्रवेश कर सके। अब 241 कुँडी अश्वमेध महायज्ञ की ऊर्जा को दक्षिण भारत के 241 स्थानों पर दीपयज्ञ-संगठनात्मक आयोजनों के माध्यम से पहुँचाने की स्थिति बन रही हैं इसमें प्रमुखता स्थानीय भाषा में प्रकाशित साहित्य एवं बाद में मासिक पत्रिका के प्रकाशन के साथ-साथ चारों प्राँतों में एक-एक केंद्र के रूप में हैदराबाद स्थापित हो चुका हैं केंद्र का कार्यालय भी संजीव रेड्डी नगर में है। अब शाँतिकुँज के मार्गदर्शन में 18 केंद्र पूरे आँध्रप्रदेश में स्थापित किए जाने हैं, जहाँ स्वाध्याय संगठन एवं रचनात्मक आँदोलनों को गति दी जा सके। इसी तरह तमिलनाडु का केन्द्र चैन्नई में स्थापित किया जा चुका हैं यहाँ भी प्रकाशन केंद्र , एक गुरुकुल, गौशाला एवं ध्यानकक्ष बनाने का प्रस्ताव आया है। इसी तरह तिरुअनंतपुरम् एवं बैंगलोर में भी प्राँतीय केंद्र बनाने की प्रक्रिया चल रही है। चारों प्राँतों के केंद्र शाँतिकुँज हरिद्वार के मार्गदर्शन में कार्य करेंगे। इसके लिए एक ‘दक्षिण भारत प्रकोष्ठ’ की स्थापना शाँतिकुँज में कर दी गई है।

उत्तराँचल के विकास हेतु एक विशेष गोष्ठी

श्री पूर्णानंद पैन्युली एवं वीरेश्वर उपाध्याय जी की अध्यक्षता में देहरादून में संपन्न एक विशेष संगोष्ठी में उत्तराँचल के प्रबुद्ध नागरिकों ने भागीदारी की। इसमें मुख्य पहल कुमायूँ विश्वविद्यालय के उपकुलपति (भूतपूर्व) श्री वी.के. जोशी एवं पूर्व स्वास्थ्य सचिव भारत सरकार श्री जे.सी. पंत द्वारा की गई। सभी प्रतिभागी प्रदेश के विकास की किसी-न-किसी श्रेष्ठ कार्य योजना से जुड़े थे व जिनके अंदर कुछ करने की तड़प भी थी। देव हियुनिधि (देवात्मा हिमालय युवा अभियान निधि) ‘ध्यान’ नामक एक ट्रस्ट युवाओं को प्रेरित-प्रशिक्षित करने के लिए गठित करने का इसमें निर्णय लिया गया। सभी स्वयंसेवी संगठन एकजुट होकर एक आचार्य कुल (विनोबा भावे की संकल्पना पर) की स्थापना करेंगे, यह भी निश्चित किया गया।

नारी जागरण सम्मेलनों-प्रज्ञापुराण कथा के शृंखलाबद्ध कार्यक्रमों की नई शृंखला आरंभ

मार्च के प्रारंभ से ही अब तीन माह तक चलने वाली श्रृंखलाओं में नारी जागरण सम्मेलन तथा प्रज्ञापुराण कथा के शृंखलाबद्ध कार्यक्रमों को क्षेत्र की माँग को देखते हुए आरंभ कर दिया गया है। इस बीच केंद्र के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के क्षेत्रीय-संगठनात्मक दौरों का क्रम भी आरंभ हो चुका है, जिसमें सभी जाग्रत-विकसित एवं नए विकसित हो रहे क्षेत्रों में इस संगठन-सशक्तीकरण वर्ष में सघन गोष्ठियों, शंका-समाधान आदि का क्रम रखा गया है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118