मरने के लिए तैयार हूँ, कलंक लगाने के लिए नहीं (Kahani)

June 1999

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तुर्कों ने कोशुढ़ को कैद कर लिया। जेल में पड़े कोशुंड के सामने शर्त रखी गई यदि- आप इस्लाम स्वीकार कर लें तो आपको मुक्त किया जा सकता है।

कुशुंड ने विचार किया और हंसकर कर उत्तर दिया- मृत्यु और लज्जा इस दोनों में से किसे स्वीकार किया जाये, आज मेरे सामने ऐसी उलझन नहीं पड़ी। मृत्यु जीवन का अनिवार्य सत्य है, तो फिर उससे दर कर अपना सर क्यूँ नीचा करूँ। जब मेरे पास सब कुछ था तब मैंने अपने धर्म न बदला। आज केवल वाही मेरा साथी है, तो मैं उसे कैसे छोड़ दूँ? ईश्वर की आज्ञा पूरी करो। मरने के लिए तैयार हूँ, कलंक लगाने के लिए नहीं।


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