अवसर (Kahani)

June 1999

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अवसर का यथोचित उपयोग ही मनुष्य-जीवन की सफलता का रहस्य है। कोई भी 'अवसर' अपनी अंजलि में मनुष्य के लिए बहुमूल्य उपहार लेकर ही उपस्थित होता है। अब उनको प्राप्त करना, न करना मनुष्य के अपने हाथ की बात है।

किसी एक 'अवसर ' के अनेक प्रत्याशी हो सकते हैं, जिनमें प्रतिद्वन्द्विता भी हो सकती है। किन्तु जीतता वही है, जिसके पक्ष में 'अवसर' लड़ता है और 'अवसर' आता है। किन्तु एक बार निराश होने पर दुबारा नहीं आता है। किसी भी 'अवसर' से यह आशा करना मृग-मरीचिका के तुल्य है की वह आपका स्वर खटखटायेगा। बुद्धिमान लोग अवसर को आगे से आलिंगन करते हैं, घेरते हैं और पकड़ते हैं, क्योंकि इसके दुम नहीं होती जो आगे बढ़ जाने पर पकड़ी जा सके।

मनुष्य जीवन से बढ़कर कोई 'अवसर' नहीं। इसके सदुपयोग न करने से बढ़कर कोई दुर्भाग्य नहीं हो सकता।

दूध ने पानी से कहा-बन्धु किसी मित्र के बिना हृदय सुना है। आओ मैं तुम्हें हृदय से लगा लेना चाहता हु।पानी ने खा-भाई तुम्हारी बात तू मुझे पसंद है, पर यकीन नहीं होता की अग्नि-परीक्षा के समय भी तुम मुझसे अलग न होंगे, दूध ने वचन दिया- ऐसा ही होगा और दोनों में मित्रता हो गई, ऐसी की उनके प्रथक स्वरूप को ही पहचानना कठिन हो गया।

अग्नि हर रोज़ परिक्षा लेती है और पानी को जलाती है, पर दूध है की वह हर बार मित्र की रक्षा के लिए अपने आप को जलाता है। दूध की तरह जो लोग अपने दाम्पत्य, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में परस्पर मेल रखते है, उन्हीं का मनुष्य जीवन सफल होता है।


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