उज्ज्वल भविष्य के लिए किये जाने वाले विशद गायत्री महायज्ञ - परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी

March 1995

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परम पूज्य गुरुदेव का प्रस्तुत प्रवचन सूक्ष्मीकरण साधना के तुरंत पश्चात् का है जो दिसम्बर 1986 में जन साधारण के समक्ष नव वर्ष की पूर्व वेला में दिया गया। इस अमृत धारा में उज्ज्वल भविष्य के लिए किये जाने वाले विशद गायत्री महायज्ञों की विस्तृत झाँकी प्रस्तुत की गयी है और सब को उसमें सहयोग देने के लिए कहा गया है। आइये इस अमृत धारा का अवगाहन करे।

गायत्री मंत्र हमारे साथ-साथ ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धियो यो नः प्रचोदयात्।

भाइयों! लंका दहन के पश्चात् राक्षस तो मारे गये, लेकिन वातावरण ज्यों का त्यों गंदा बना रहा। वातावरण में राक्षसपन बराबर बना हुआ था। फिर उसका निवारण कैसे हो? वातावरण का मुकाबला कैसे किया जाये? तो रामचन्द्रजी ने दस अश्वमेध यज्ञ किये थे। दशाश्वमेध घाट कभी आप बनारस जाये तो वहाँ देखें कि वहाँ घाट पर भगवान् राम के किये हुये दस अश्वमेधों का चिह्न है कि नहीं और उन्हीं के वजह से घाट का नाम दशाश्वमेध घाट रखा गया है। कौरवों के जमाने में कंस से लेकर के जरासन्ध तक जो अत्याचार कर रहे थे वो महाभारत में मारे तो सब गये लेकिन वातावरण नहीं मारा गया। वातावरण वैसे ही गंदा बना रहा, और वैसे ही उसमें दृष्टता भरी रही। उसका शमन कैसे हो? इसका एक ही उपाय भगवान् ने बताया इसके लिये यज्ञ करना चाहिए। राजसूय यज्ञ उसी समय हुआ था। और उसका उद्देश्य था वातावरण का संशोधन।

वातावरण दिखायी नहीं पड़ता उसका प्रभाव ऐसा बुरा होता है कि चारों ओर हाहाकार फैल जाता है। आज भी वातावरण वैसा ही दूषित है जैसा कि दो घटनायें मैंने सुनायी जो उस समय था। आज भी चारों ओर अशान्ति फैली हुयीं है। सारे विश्व में वातावरण की वजह से दुर्घटनायें बराबर हो रही है। कहीं सूखा पड़ रहा है? कहीं पानी बरस रहा है कही बाढ़ आ रही है कही बीमारियों फैल रही है ये तो यहाँ है सारे संसार भर में देखिये लड़ाई का वातावरण बन रहा है जगह जगह युद्ध चल रहे है जगह जगह द्वेष हो रहे है जगह जगह मारकाट हो रही है मार काट हो रही है और आतंकवाद फैला हुआ है बहुत-सी बातें हो रही है यह कैसी हो रही है? ये वातावरण के दूषित होने की वजह से हो रही है। इसकी प्रेरणा वातावरण से मिलती है वातावरण से प्रकृति भी नाराज है आज प्रकृति भी संग नहीं दे रही है। फसल ठीक तरह से पैदा नहीं हो रही है मनुष्यों में जो शान्ति और चैन होना चाहिए वह भी नहीं मिल पा रहा है।

क्या उपाय करना चाहिए वातावरण संशोधन करने के लिए? वायुमंडल भी दूषित है वातावरण ही नहीं वायुमंडल भी। कैसे? ये कारखानों चलते है मिले चलती है इनका धुँआ निकलता है इन धुओं की वजह से वायुमण्डल भी दूषित हो रहा रहा है उसकी वजह से विकिरण फैल रहा है और विकिरण की वजह से संतानें खराब हो रही है। बुरे स्वभाव की हो रही है अंधी पंगी हो रही है वातावरण का प्रभाव वायुमंडल का प्रभाव विकिरण का प्रभाव सारे संसार भर में छाया हुआ है। इसका क्या उपाय करना चाहिए? ये पुस्तकीय उपायों से काम नहीं चल सकता। इसके लिए तीर तलवार काम नहीं दे सकते। मनुष्य का साँसारिक पुरुषार्थ में यज्ञ की बड़ी महत्ता बतायी गई है यज्ञ को पिता बताया गया है और गायत्री को माँ बताया गया है गायत्री और यज्ञ मिलकर के दोनों माता पिता होते है गायत्री यज्ञों से वह शक्ति पैदा होती है जो कि नया दर्शन पैदा कर सके और वातावरण में जो गंदगी भरी है उसको झाड़ बुहार कर साफ कर सके। यह सफाई करने की शक्ति केवल यज्ञ में है यज्ञ से आप सारे संसार भर की सेवा कर सकते है।

एक संत थे उन्होंने एक चवन्नी भेजी दूसरे संत के पास और यह कहा कि इस चवन्नी की कोई चीज लेकर तुम्हारी जमात में जितने आदमी है सबको खाना खिला दीजिए। उन्होंने चवन्नी का घी मँगाया और उसमें से ही हींग और लौंग मँगाया और दाल में बघार लगा दिया सभी खाने वाले ने खाया और सबने कहा- हमने खा लिया फिर दूसरे संत के पास परीक्षा लेने के लिए उन्होंने एक पैसा भेजा और एक पैसा भेजकर कहा कि इससे आप सारे संसार भर का भोजन करा दीजिए सारे संसार भर को थोड़े से आदमी को भी तो करा सकते है पर एक पैसा में से सारे संसार भर को भोजन कैसे कराया जाये? उन्होंने कहा कराया जा सकता एक पैसा घी और हवन सामग्री उन्होंने उठा कर लिया। उस जमाने की बात कह रहा हूँ जबकि एक पैसे बात बहुत कीमती थी तो उसको लिया और यज्ञ कर दिया। हवन करने से सारे के सारे वायुमंडल में उसकी सुगंध फैल गयी और जिस किसी ने साँस ली इन सबकी साँस में हवन की वह सूक्ष्म सामग्री गयी उससे सारे संसार के मनुष्यों को ही नहीं पशुओं को पक्षियों को प्राणियों को सबको खाने को मिला। वायु जो मिली उससे उसका परिपोषण हुआ। उनके शरीर के रोग निवारण हुए उससे एक पैसा कितना काम आया। किसी को एक पैसा दान दे दे या खिला दे तो उससे क्या हो सकता है? लेकिन यज्ञ कर दे तो यज्ञ हवा में शामिल होकर के इस तरीके से फैल जाता है जैसे पानी में तेल डाल दे आप तो वह तमाम जगह फैल जाता है इसी प्रकार से यज्ञ में जो चीज हवन में आती है उन सबका सारे वातावरण पर असर पड़ेगा सारे वायुमंडल पर असर पड़ता है।

वायुमंडल का संशोधन करने के लिए प्रकृति का संशोधन करने के लिए और सारे संसार में सुख शांति लाने के लिए कलह क्लेशों को दूर करने के लिए यज्ञ सबसे बड़ी चीज है भारतीय धर्म में। इसके बारे में इतने ज्यादा प्रशंसा की गई है इतने गुणगान किये गये है कि यज्ञ से बड़ा कोई पुण्य और परोपकार कोई और नहीं हो सकता। आप लोग यज्ञ कर रहे है इससे वायुमंडल को संशोधन होने से बहुत मदद मिलेगी। वायुमंडल का संशोधन होने से बीमारियों को दूर होने से लेकर के लड़ाई झगड़े क्लेश कुपात्र संतान पैदा होने से लेकर के जो भी इस तरह की कठिनाइयाँ है उनके समाधान होने में मदद मिलेगी। इसलिए यह करके जो आप बड़ा पुनीत कार्य कर रहे है इसके लिये हम बधाई देते है।

इस समय इसकी क्या आवश्यकता पड़ गई इस समय एक और नयी बात पैदा हो गयी इस समय युद्ध के संकट और दूसरे संकट तो प्रत्यक्ष है ही जो दिखायी पड़ रहे है। आतंकवाद का भय भी आपको सब तरफ फैला दिखायी पड़ रहा है सारे विश्व में दिखाई पड़ रहा है। हिन्दुस्तान में ही नहीं पंजाब में ही नहीं सारे विश्व में ही यह वातावरण दूषित हो रहा है इस दूषित वातावरण का संशोधन करने के लिए यज्ञ से बड़ी कोई और वस्तु नहीं है जिससे कि हम सूक्ष्म जगत का परिष्कार कर सकें। इनकी वजह से ही यज्ञों को पुनरावृत्ति के रूप में करना पड़ा।

हमारे जीवन को पचहत्तर पन्ने की किताब है इसमें सारे अध्यात्म के रहस्य हमने खोल खोल के रखे है आपने कोई किताब न पढ़ी हो जीवन में तो हमारा जीवन पढ़ लीजिए कि अध्यात्म सार्थक कैसे हो सकता है? इसकी हीरक जयंती सब लोगों ने मिलकर मनायी है तो कोई हो सकता है? इसकी हीरक जयंती सब लोगों ने मिलकर मनायी है तो कोई नाराजगी नहीं हुयीं प्रसन्नता ही हुयीं हैं अखण्ड ज्योति परिवार के चौबीस लाख के करीब आदमी है पत्रिकाएँ बहुत निकलती है इन सबकी इच्छा थी कि हीरक जयंती मनायी जाये। हीरक जयंती में ही यह संकल्प किये गये थे कि एक एक लाख के पाँच बड़े यज्ञ होंगे जो आपने पढ़े ही है। जो आप कार्यान्वित कर ही रहे है। यहाँ का नालंदा विश्वविद्यालय सबसे ज्यादा सफल रहा है इसमें एक जार आदमी के करीब शिक्षण प्राप्त करने के लिए हमेशा आते रहते है प्रत्येक महीने। जब तक एक लाख आदमियों को शिक्षित न कर लेंगे तब तक चैन नहीं लेंगे पहला संकल्प था। इसके अलावा था एक लाख जन्मदिन मनायेंगे एक लाख पेड़ लगाएँगे और बहुत-सी बातें थी वे हमारी हीरक जयंती से संबंधित है उसकी पूर्णाहुति इसी यज्ञ के साथ हो रही है जो आपके के यहाँ होगा इस वर्ष। इस वर्ष उसकी भी पूर्णाहुति है। हमारे हीरक जयंती की भी पूर्णाहुति है।

दूसरी बात अखण्ड ज्योति की यह स्वर्ण जयंती है अखण्ड ज्योति की वजह से हमने संगठन किया है इतने विचार लोगों को दिये है जो पत्रिकाएँ आजकल निकलती है उनमें दो लाख से ज्यादा अखण्ड ज्योति निकलती है। एक लाख से ज्यादा गुजराती की निकलती है मराठी की पत्रिका निकलती है उड़िया की निकलती है हिन्दी का एक दूसरा पत्र निकलता है। सब मिलाकर के छः सात लाख पत्रिकाएँ निकलती है इनके द्वारा हमारे विचारों ने दुनिया में एक बड़ा संगठन खड़ा कर दिया है चौबीस लाख आदमियों का एक संगठन है यह संगठन इसी वजह से बना है कि हमारे विचारों को अखण्ड ज्योति के द्वारा हमारी वाणी को लोगों ने सुना और हमारी लेखनी को चखा। लेखनी और वाणी दोनों का सम्मिश्रण है यह अखण्ड ज्योति इसका पचासवाँ वर्ष शुरू होता है उनचास वर्ष पूरे हो गये और अब इसी महीने से इसी साल से पचासवाँ वर्ष शुरू होता है उनचास वर्ष पूरे हो गये और अब इसी महीने से इसी साल से पचासवाँ वर्ष प्रारंभ हुआ है तो इसकी स्वर्ण जयंती है स्वर्ण जयंती मनाने में यज्ञ और गायत्री ये ही दो तो हमारे माता पिता रहे है गायत्री का तो इसके साथ में जप होगा ही आहुतियाँ तो दी ही जायेगी गायत्री यज्ञ है ही। इससे हम अपने माता पिता को अखण्ड ज्योति को भी पूर्णाहुतियाँ के ज्योति का स्वर्ण जयंती वर्ष मनाते हैं।

इसके सिवाय तीसरा हमने जो कार्य किया वह तीन वर्ष का सूक्ष्मीकरण अनुष्ठान किया था तीन वर्ष पूरे होते ही अधिकांश समय हमें एकांत में रहना पड़ा मौन में रहे और क्या-क्या किया? उन सब बातों को बताने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए आपको जनवरी की अखण्ड ज्योति पढ़नी चाहिए जनवरी की अखण्ड ज्योति को हम कुण्डली जागरण अंक के नाम से छाप रहे है इस सावित्री साधना का क्या विज्ञान है? किस तरीके से संभव हुयीं? ये हम अखण्ड ज्योति के जनवरी के अंक में बतायेंगे और इक्कीसवीं सदी का फरवरी अंक होगा इक्कीसवीं सदी का फरवरी अंक होगा इक्कीसवीं सदी कैसे आयेगी? नया युग कैसे आयेगा? नये युग में क्या क्या बातें होगी? यह सब बातें फरवरी के अंक में होगी अखण्ड ज्योति का जो स्वर्ण जयंती वर्ष है यह भी बड़ा शानदार वर्ष है क्योंकि बहुत कम पत्रिकाएँ ऐसी है हिन्दुस्तान में जो पचास वर्ष से ज्यादा चल रहीं है इनकी संख्या उँगलियों पर गिनने लायक है कोई पत्रिका दो वर्ष निकलती है कोई एक वर्ष निकलती है तो कोई चार वर्ष निकलती है प्रायः बंद हो जाती है इतने लंबे समय तक लगातार जिसका कभी विराम न हुआ हो जिसके कभी साप्ताहिक अंक न निकले हो जिसकी कभी नागा न हुयीं हो इस तरह की पत्रिका शायद ही कही कोई हो भारत वर्ष में। इसकी भी स्वर्ण जयंती मनायी जा रही है।

आपका जो यज्ञ है यह उस स्वर्ण जयंती का भी यज्ञ है हमारी ये तीन वर्ष की जो साधना हुई है वह भी सारे विश्व कल्याण के लिए हुईं है वातावरण संशोधन के लिये हुई है और जो संसार में पाप-अनाचार फैले हुये है उसके साथ संघर्ष के लिए उसके साथ में लोहा लेने की शक्ति पैदा करने के लिए हुई है। ये साधना बड़ी महत्त्वपूर्ण है न केवल संसार है बल्कि हमारा सारा कुटुंब जो है उसके लिए भी अपने कुटुंब के लिए इतनी बड़ी सेवायें जो की है उसके हमको अभी संतोष नहीं हो रहा है अब ये हमारा मन कि हमारे जो कुटुंबी है गायत्री परिवार के परिजन है इनकी कुछ और ज्यादा सेवा करे ज्यादा सेवा के लिए पूँजी की आवश्यकता है संपदा तो होनी ही चाहिए। हमारे पास कुछ साधन तो हो जिससे हम सेवा करें। सेवा मुँह जबानी थोड़े ही हो जाती है। उसके लिए तीन वर्ष इसीलिए बीत गये है कि संसार का वातावरण संशोधित हो और अपने प्रज्ञा-परिवार के जितने भी व्यक्ति है उनकी सेवा करने का उनकी सहायता करने का उनके लायक शक्ति एकत्रित करने के लिए उपार्जित करने के लिए भी ये यज्ञ है।

इन यज्ञों के साथ यह तीन बातें साथ में जुड़ी हुई है वातावरण वायुमंडल और विकिरण संबंधी समस्यायें जो सारे संसार भर में फैली हुई है उनके समाधान के लिए यह यज्ञ देखने में छोटासा मालूम पड़ेगा आपको। लेकिन सौ कुण्डीय यज्ञ भी कम है इस समस्या को देखते हुये कितनी बड़ी समस्या है ओर उस समस्या से संघर्ष करने के लिए कितना बड़ा काम हम करने जा रहे हैं सौ कुण्डीय के हिसाब से जो यज्ञ करने जा रहे हैं वे एक लाख कुण्ड में समाप्त होंगे एक लाख कुण्ड में समाप्त होंगे। एक लाख कुण्डों तक चलेंगे सौ को सौ से गुणा कर दे तो एक लाख होते हैं तो जूनियर और सीनियर यज्ञों को हमने संकल्प किया है। ये पूरा होकर के रहेगा। हमारा कोई संकल्प छपा था। आपने पहली पुस्तक हमारी देखी होगी। उसमें चौबीस स्थान भी दिये थे कि चौबीसों स्थानों में गायत्री शक्तिपीठ बनाकर के रहेंगे बस वह संकल्प प्रकाशित हुआ और उसके बाद में चौबीस सौ बनी यानि सौ गुनी ज्यादा हो गयी। अभी हमारा एक लाख कुण्डों का तो बड़ी आसानी से पूरा हो जायेगा इसमें किसी तरह कोई और तरह की दिक्कत पड़ेगी

केवल यज्ञ ही इसमें शामिल नहीं है। इसके साथ-साथ में राष्ट्रीय एकता सम्मेलन भी जुड़े हुये है। आजकल छिन्न-भिन्न होता हुआ दिखायी पड़ता है देश भाषाओं के नाम पर संपदाओं के नाम पर और जाति बिरादरियों के नाम पर हजारों चीजें ऐसी है जो हमारे बीच बिखराव पैदा करती है इस बिखराव को एकता में बदलने के लिए सबको एक सूत्र में बाँधने के लिए सबको एक परिवार के रूप में गठित करने के लिए हमने ये राष्ट्रीय एकता सम्मेलन प्रत्येक यज्ञ के साथ जूड़े हुए रखे है चाहे जूनियर यज्ञ हो चाहे सीनियर यज्ञ हो चाहे एक कुण्डीय यज्ञ हो चाहे पाँच कुण्डीय यज्ञ हो। सबमें राष्ट्रीय का नाम दिया जायेगा और उस विषय में व्याख्यान और प्रवचन और उपस्थित जनता को उनका मार्गदर्शन करने का भी क्रम रहेगा।

इस तरीके से इसमें दोहरा लाभ है। इन समस्त लाभों को देखते हुये जो खर्च इसमें आयेगा वो तो नगण्य है उसी तो बहुत कम कीमत है इसमें तो हमने और भी सब बातों की किफायत कर दी हैं। यज्ञ का सारे का सारा सामान यहीं से भेजा जा रही है और वहाँ के लोगों को जहाँ ये आयोजन होंगे वहाँ तो कम पैसे ही खर्च करने होंगे इस तरीके से योजना क्रमबद्ध रूप से बनायी गयी है। इन सबसे सारे भारतवर्ष के कोने -कोने में यज्ञों की हवा बनाने का उद्देश्य है इस हवा को बनाने में आप मदद दीजिए। इसमें सम्मिलित होइए और यहाँ से हमारे प्रवचन सुनने के बाद में ये विचार लेकर के जाइये कि हमको अपने गाँव में अपनी बस्ती में अपने इलाके में भी इन यज्ञों को करना है छोटे यज्ञ भी होंगे आगे जाकर के छोटे हो चाहे बड़े हो पर कहीं न कहीं इन यज्ञों की हवा फिर सारे भारतवर्ष में पैदा करनी है हमको तो उसमें आपके सहयोग की जरूरत है सहायता की जरूरत है अगर आप सहायता करेंगे सहयोग करेंगे तो आप खाली हाथ नहीं रहेंगे यज्ञ भगवान ने कहा है हे यज्ञ करने वालों! तुम चम्मच सामग्री लाये। हमने तुम्हारी मुट्ठीयों को खाली हाथ नहीं रहने दिया है। तुम्हारी मुट्ठीयों में हजार गुनी कीमती चीजें भर दी है।

इस यज्ञ में शामिल होने वालों का जो समय लगेगा श्रम लगेगा पैसा लगेगा हम आपको यकीन दिलाते हैं कि उसका सौ गुना होकर के आप उससे ज्यादा लाभ उठायेंगे शारीरिक लाभ भी उठायेंगे मानसिक लाभ भी उठायेंगे पारिवारिक लाभ उठायेंगे आध्यात्मिक लाभ भी उठायेंगे सब होंगे। ऐसा हम आपको यकीन दिलाते है इन शब्दों के साथ अपनी बात समाप्त करते है। ॐ शांति


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