एक बिल्ली की गरदन दूध के बर्तन में फँस गई। मुश्किल से बर्तन टूटा फिर भी उसका घेरा गले में फँसा था।
उसने चूहों से कहा वह केदार यात्रा से लौटी है। प्रमाण के लिए यह केदार कंगन गले में बँधा है तुम लोग निर्भय रहो और मेरा सत्संग सुनने आया करो।
मूर्ख चूहों ने विश्वास किया और वे आने लगे। बिल्ली उनसे पीछे वाले को पकड़ लेती और पेट भरती। इस प्रकार एक एक करके सभी घटते गये। उनमें से एक कटी पूँछ का सरपंच था वह भी उदरस्थ हो गया। तब चूहों की आँख खुलीं। सच्चा बोध हुआ। बिल्ली की असलियत समझी और दूर से ही नमस्कार करने लगे।