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Akhand Jyoti
Year 1995
Version 2
राष्ट्र की...
राष्ट्र की कुण्डलिनी का जागरण एवं प्रथम पूर्णाहुति
March 1995
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Page Titles
आस्तिकता का यथार्थ
तप की सिद्धि
प्रगति का एक मात्र अवलंबन “अध्यात्म”
बुढ़ापे का अर्थ निष्क्रियता तो नहीं?
Quotation
गायत्री उपासना-शंकाएँ एवं समाधान
फंदा (Kahani)
आ रहा है अतिशीघ्र ही- प्रज्ञायुग
अपरिग्रही का वैभव
जार्ज वाशिंगटन (Kahani)
“अर्थ” तो हो पर धर्म प्रधान ही
स्वच्छता का पाठ (Kahani)
निराली-अनुपम है-धर्म की भाषा
स्वार्थ परायणता अर्थात् ईश्वर से विश्वासघात
कैसे हो अंतस् में सत्य का अवतरण
तप का उद्देश्य आत्म परिष्कार
अपने पराये का भेद (Kahani)
आसक्ति ही मनुष्य को भटकाती है भूत बनाकर
प्रेम की विराट् परिधि
भय का मनोविज्ञान
आत्मोन्नति के पाँच सोपान
मन में गुँजाइश (Kahani)
साधु बनाम बहरूपिया
स्वाध्यायः एक जागृत देवता
सर सुरेंद्रनाथ बनर्जी (Kahani)
विकास जड़ का नहीं, चेतना के स्फुल्लिंगों का
सच्चा त्याग
संस्कृति संतति (Kahani)
अप्रतिम है विचारों की सामर्थ्य
ऋषित्व का अर्जन ही चरम सिद्धि
असलियत (Kahani)
विज्ञान अध्यात्म के साथ चले, तो ही समग्र प्रगति संभव
निन्यानवे का फेर (Kahani)
वैराग्य की पहली पाठशाला, गृहस्थ रूपी तपोवन
दृष्टिकोण के परिवर्तन से जहान बदल सकता है
महामहिमामयी माता
प्रकृति की इस माया में मात्र सत्य को तलाशे
महताशैसा (Kahani)
शांति मन की एक स्थिति का नाम
कलाकार प्रेत
समझदारी का अनुगमन व श्रेय का वरण
रामनाम (Kahani)
उज्ज्वल भविष्य के लिए किये जाने वाले विशद गायत्री महायज्ञ - परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
ममता की सुरसरि (Kavita)
सविता -गरिमा गान (Kavita)
राष्ट्र की कुण्डलिनी का जागरण एवं प्रथम पूर्णाहुति
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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