विश्व विख्यात एक लड़की हेलन केलार जिसमें अपंगता का अनुपात क्रमशः बढ़ता ही गया। वह पूरी तरह अंधी जन्मी और बहरी हो गयी। दूसरे लोग उसे माँस का जीवित लोथड़ा भर कहते।
उसकी बड़ी बहन ने साहस किया कि वह अपनी इस छोटी बहन को स्वावलम्बी ही नहीं विचारवान बनाकर भी रहेगी। संकेत के द्वारा ही उसने उसे पढ़ाना, समझाना और अनुभव कराना आरंभ किया। लड़की ने भी इन प्रयासों में रुचि ले ली। सफलता मिलती चली गयी। केलार ने कई विषयों में एम.ए. पास किया और विश्वविद्यालयों ने उसे मानद डाँक्टरेट की उपाधि दी। उसने संसार भर का दौरा करके अपंगों को यह विश्वास दिलाया कि यदि वे चाहे तो गई-गुजरी स्थिति में भी प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं।