चंचलता का एक ही कारण है कामों को खिलौना समझकर खेलना। जब उन्हें तत्परतापूर्वक किया जाता है तो एकाग्रता का ध्यान साधना का आधा व्यवधान दूर हो जाता है। शेष आधा त दूर होता जब उनमें रस आने लगता है।