असाधारण विपत्तियां (Kahani)

January 1993

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द्रौपदी ने कौरवों को अपने राजमहल में बुलाया। जब वे अनोखी बनावट से भ्रमित होकर जल को थल और थल को जल समझने लगे तो द्रौपदी ने उनका उपहास उड़ाया और कहा-”अंधों के अंधे ही होते हैं।”

बात उपहास में कही गयी थी पर वह लगी अपमान भरे तीर जैसी। कौरवों ने उसी से रूठकर द्रौपदी को, पाण्डवों को नीचा दिखाने का निश्चय किया और बात बढ़ते-बढ़ते द्रौपदी को निर्वस्त्र करने से लेकर उसके पुत्र मारे जाने तक पहुँची। महाभारत में असंख्यों का असीम विनाश हुआ। शिष्टाचार का उल्लंघन करना साधारण बात होते हुए भी असाधारण विपत्तियां खड़ी कर देता है।

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