सद्वाक्य

March 1990

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अच्छा मनुष्य उस मधुमक्खी के समान है, जो झाड़ियों में से भी मीठा शहद निकाल लेती है। बुरा मनुष्य मकड़ी के समान है, जो सुगंधित फूलों में से भी विष इकट्ठा करती है।

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