समय अधिक सुनिश्चित समझा (कहानी)

March 1990

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

डॉ. रॉबर्ट एंथँनी ने अपनी पुस्तक ‘टोटल सेल्फ कौन्फीडेंस’ में लिखा है कि बाल्यकाल में अभिभावकों द्वारा सुसंस्कृत वातावरण प्रदान किया जा सके तो प्रतिभा के बीज अंकुरित होकर सुविकसित होते चले जाते हैं। बालक के जन्म के समय वयस्क की तुलना में उसके मस्तिष्क का आकार आठ गुना कम होता है। आठ माह के अंतर्गत यह क्रम ठीक आधा हो जाता है। शरीर में सर्वाधिक गति से बढ़ने वाले प्रमुख अवयवों में मस्तिष्क की गणना पहले की जाती है। पाँच वर्ष की अवधि तक पहुँचते-पहुँचते मस्तिष्क में वे सभी संस्कार संचित हो जाते हैं, जो उसके आचरण का अविच्छिन्न अंग बनकर सिद्ध होते हैं। डॉ. एंथँनी ने बाल-विकास की इस महत्त्वपूर्ण अवधि को ‘इम्प्रिन्ट पीरियड’ के नाम से संबोधित किया है। प्रतिभा की विधेयात्मक और निषेधात्मक दिशाधारा के निर्धारण का यही समय अधिक सुनिश्चित समझा जाता है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles