एक व्यक्ति का कंबल उसकी लंबाई से कुछ छोटा पड़ता था। जाड़े के दिनों में कभी उसका सिर खुल जाता, कभी पैर। कोई ऐसा उपाय न सूझता था कि सारा शरीर ढँक सके।
एक समझदार ने सुझाया कि भाई आप अपने पैर थोड़े सिकोड़ लिया करो। इतने भर से समस्या का समाधान हो गया।
साधन कम पड़ते हों तो अपनी आवश्यकता घटाई जा सकती है।