बालक एडीसन को वैज्ञानिक गुरु ने परखा (कहानी)

March 1990

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

बालक एडीसन को विज्ञान में बहुत रुचि थी। वह उस विषय में जानना और कुछ करना चाहता था। पर घर की स्थिति ऐसी न थी, जो पढ़ाई का खरच उठा सके, साथ ही पेट भी भरता रहे। उसकी अकेली माता ही घर चलाती थी।

एडीसन और उसकी माता ने सलाह की कि किसी वैज्ञानिक के यहाँ लड़के को रख दिया जाए। जहाँ वह उनके घर का काम भी करता रहे, पढ़ता भी रहे, वैज्ञानिक प्रयोगों का पर्यवेक्षण भी करता रहे। एडीसन की माता इस प्रयोजन के लिए लड़के को कितने ही वैज्ञानिकों के पास लेकर गई, पर किसी ने भी इस झंझट में पड़ना स्वीकार न किया।

अंत में एक वैज्ञानिक ने उसे दूसरे दिन लाने को कहा, ताकि वह उसकी मौलिक प्रतिभा को जाँच सके और वह यदि उपयुक्त हो तो उसे अपने यहाँ रख सके। माता दूसरे दिन नियत समय पर लड़के को लेकर पहुँची।

वैज्ञानिक ने लड़के को झाड़ू थमाते हुए कहा— "बच्चे इस कमरे को ठीक तरह झाड़ू लगाकर लाओ।" लड़के ने पूरा मनोयोग लगाया और न कमरे के फर्श को साफ किया, वरन दीवारों-छतों-फर्नीचर को इस सफाई और व्यवस्था से सजाया कि उसकी समग्र प्रतिभा उस छोटे काम में ही लगी दीख पड़ी।

परीक्षा में लड़का उत्तीर्ण हुआ। उसे वैज्ञानिक ने अपने घर रख लिया। छोटे-मोटे घरेलू कार्यों के अतिरिक्त उससे अधिकतर वैज्ञानिक कार्य ही कराते। दिलचस्पी और समझदारी का समन्वय हुआ तो उसके सभी क्रिया-कलाप बढ़िया स्तर के होने लगे। वैज्ञानिक-क्षेत्र में भी उसने असाधारण वरीयता प्राप्त कर ली। बड़ा होने पर उनने अनेकों वैज्ञानिक आविष्कार किए और यश के साथ धन भी कमाया।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles