सुदामा कृष्ण से मिलने द्वारका गये। भेंट में देने के लिए एक चावल की पोटली ले गये थे। उसे बगल में दबाये हुए थे,संकोचवश दे नहीं रहे थे। कृष्ण ने उसे देख लिया।
कहा जानते नहीं दुनिया की रीति-यहाँ पहले देना पड़ता है बाद में कुछ मिलने का सुयोग बनता है। सुदामा उनका संकेत समझा गये ओर निज की पोटली उनके हाथ पर रख दी। हर भक्त को यही करना पड़ता है।