जागृत अवस्था की तुलना में सुषुप्ति को प्रायः कम महत्व दिया जाता हे और स्वप्नों को विसंगत कल्पनाओं का झुण्ड समुच्चय या अकारण कौतूहल और असमंजस में डालने वाली मृग मरीचिका मात्र समझा जाता है। जबकि वास्तविकता कुछ और है। विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधानों एवं परीक्षणों के आधार पर अब यह प्रमाणित हो चुका है कि स्वप्नों के पीछे भी तथ्य और रहस्य सुनिश्चित रूप से छिपे होते हैं। वे अपनी साँकेतिक भाषा में प्रतीकात्मक लिपि में भूत, वर्तमान तथा भविष्य से जुड़े घटनाक्रमों, समस्याओं के संबंध में महत्वपूर्ण संकेत दे जाते हैं। परोक्ष दर्शन, भविष्य बोध, इन्द्रियातीत अनुभूतियों के भी वे माध्यम हैं। स्वप्न हमें अपने अंतर्मन का परिचय देते है और चेतनात्मक परिष्कार का द्वार खोलते हैं। उनके आधार पर मिलने वाली जानकारियों के सहारे आन्तरिक स्तर को सुधारने, सँभालने का प्रयत्न किया जाय तो यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि हो सकती है।
आध्यात्मिक मान्यता यह है कि स्वप्न पूर्व और वर्तमान जन्मों के संस्कारों और कर्मों के फलस्वरूप दिखाई देते हैं और उनका कुछ न कुछ आशय और परिणाम भी अवश्य होता है। इनमें से अधिकाँश तो व्यर्थ होते हैं और उनमें भूतकालीन घटनाओं का स्फुरण भर होता है पर प्रातः काल ब्राह्ममुहूर्त में देखे गये स्वप्नों में से अधिकाँश ऐसे होते हे जो निकट भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का संकेत देते है। अधिकाँश भारतवासी तो उनको शुभाशुभ घटनाओं का सूचक मानते हैं और उनकी यथार्थता में विश्वास रखते हैं।
स्वप्नों की भाषा भी ऐसी है जिन्हें निरर्थक नहीं समझा जाना चाहिए। जिस प्रकार दर्पण के सहारे हम अपना चेहरा देख सकते हैं, उसी प्रकार स्वप्नों के आधार पर शरीर और मन की भीतरी परत किस स्थिति में है उसकी झाँकी कर सकते हैं। मोटी परख तो उथली जानकारियाँ दे पाती हैं। उनके आधार पर सामान्य स्वास्थ्य, प्रत्यक्ष कष्ट, हर्ष, शोक जैसे प्रत्यक्ष विवरण ही विदित होते हैं। पर इतना ही सबकुछ नहीं है। सूक्ष्म भी बहुत कुछ हैं और वह इतना है कि स्थूल से भी भारी समझा जा सकता है। इसे सही स्थिति में जानकर भावी स्वास्थ्य संकट और मानसिक विग्रह से सहज ही बचा जा सकता है। स्वप्नों का विश्लेषण यदि किया जा सके और उनके आधार पर निकलने वाले निष्कर्षों से अवगत रहा जा सके तो उसे आत्मज्ञान का एक महत्वपूर्ण प्रगति सोपान ही कहा जायेगा।
गेस्टाल्ट साइकोलॉजी के अनुसार स्वप्न मानवी व्यक्तित्व के अपष्कृत व्यापार अनगढ़ स्वभाव के संकेतक होते है। यह अचेतन मन द्वारा दिये गये वह अनुदान हैं जिसके सहारे व्यक्ति अपनी कमजोरियाँ विसंगतियों को ढूंढ़कर अलग कर सकता है और व्यक्तित्व को पूर्ण रूप से विकसित कर बन्धनों से छुटकारा पा सकता है। इस सिद्धान्त के आधार पर मनः चिकित्सकों ने गेस्टाल्ट थैरेपी नामक एक चिकित्सा पद्धति का आविष्कार किया है। डाँ. फ्रेडरिक ए. पर्ल्स इसके विशेषज्ञ माने जाते है। उनका कथन है कि स्वप्न संकेत जीवन की यथार्थ स्थिति को प्रकट करते हैं। इसके आधार पर मानसिक बीमारियों का भी उपचार किया जा सकता है। अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “ गेस्टाल्ट थेरेपी वर्बैटिम “ में उन्होंने कुछ ऐसे सूत्रों का निर्धारण किया है जिनके अनुसार अभ्यास करने पर रचनात्मक स्वप्न देखे जा सकते हैं तथा उसके आधार पर व्यक्तित्व को विकसित किया जा सकता है।
सुप्रसिद्ध मनोविज्ञानी हैवलाक एलिस ने स्वप्नों का गहन अध्ययन किया है और निष्कर्ष निकाला है कि - प्रत्येक स्वप्न अतीत की अनुभूतियों और दैहिक संवेदनाओं, विकारों का संयुक्त परिणाम होता है। स्वप्न यह स्पष्ट करते है कि हमारा चेतन मन हमारी भावनाओं के हाथ का खिलौना मात्र है। इस संबन्ध में स्वप्नशास्त्री कार्लशेरनल का कथन है कि शरीर या मन का प्रत्येक विक्षोभ एक विशिष्ट स्वप्न को उत्पन्न करता है। यह तथ्यों पर आधारित तो होते हैं पर उसकी सीमा में ही बंधे नहीं होते। उनमें कल्पनात्मक उड़ान भी भरपूर होती है। वस्तुतः मन-मस्तिष्क पर पड़ने वाले विभिन्न दबावों, इच्छाओं, वासनाओं के आघातों -प्रतिघातों से उत्पन्न स्वप्न दृश्य ही इस कोटि में आते हैं।
मनोविज्ञानी सिगमण्ड फ्रायड ने अपनी पुस्तक - “द इन्टर’-प्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स “ में लिखा है कि स्वप्न इच्छा पूरक होते हैं और भूतकालीन समस्याओं के लिए नाटक की तरह हैं अर्थात् मनुष्य दिन में जो कुछ सोचता और करता है, उनमें से कई बातें ऐसी होती हैं जिन्हें वह बहुत चाहता है पर कर नहीं पाता, यद्यपि वह उन पर विचार कर चुका होता है। इसलिए उस दमित विचार की फोटो प्रिन्ट अचेतन मस्तिष्क में बन जाती है और रात को मनुष्य जब सोता है तब वही दृश्य उसे स्वप्न की तरह दिखाई देने लगते हैं। अपनी दूसरी पुस्तक - “ द इमरजेन्स एण्ड डेवलपमेन्ट ऑफ साइकोऐनालीसिस” में उन्होंने कहा है कि प्रत्येक स्वप्न अतीत की अनुभूतियों, संवेदनाओं एवं विकारों का संयुक्त परिणाम है। इसमें मनुष्य अपनी दबी हुई कामनाओं, इच्छाओं, वासनाओं की पूर्ति करता है।
यद्यपि हमारे अधिकाँश हल्के स्वप्न सचमुच शरीर की गड़बड़ी, मन की दबी हुई इच्छाओं के द्योतक होते हैं किन्तु इसका सम्पूर्ण क्षेत्र यहीं तक सीमित नहीं अन्यथा जा स्वप्न भविष्य में शत प्रतिशत सत्य हो जाते है, उनका रहस्य क्या है? इस तथ्य का उद्घाटन करने वाले प्रख्यात मनः शास्त्री कार्ल गुस्ताव जुँग ने फ्रायड के विचारों का खंडन करते हुए अपनी पुस्तक -” मैमोरीज ऑफ ड्रीम्स रिफलैकसन्स “ में कहा कि दैनिक घटनाओं और संवेदनाओं का प्रभाव स्वप्नों में रहता तो है पर वे इतने तक ही सीमित नहीं हैं। उनके अनुसार ज्ञान प्राप्ति के जितने साधन चेतन मस्तिष्क को प्राप्त हैं उससे कहीं अधिक विस्तृत और कहीं अधिक ठोस साधन अचेतन सत्ता को उपलब्ध हैं। चेतन मस्तिष्क दृश्य, श्रव्य तथा अन्य इन्द्रिय अनुभूतियों के आधार पर ज्ञान संग्रह करता है, पर अचेतन के पास तो असीम साधन हैं। वह ब्रह्मांड-व्यापी शाश्वत चेतना के साथ सम्बद्ध होने के कारण अन्तरिक्ष में प्रवाहित होते रहने वाले ऐसे संकेत कम्पनों को पकड़ सकता है जिनमें विभिन्न स्तर की असीम जानकारियाँ भरी पड़ी हैं। मनुष्य की अनुभूतियाँ उनसे प्रभावित होती है और वह प्रभाव व्यक्ति की निज की स्थिति के साथ सम्मिलित होकर परिचय स्वप्न संकेतों में मिल जाता है। सुप्रसिद्ध मनः शास्त्री डब्ल्यू.स्टेकेल ने भी - “हाऊ टू अन्डरस्टैण्ड योर ड्रीम्स “ तथा “ टैक्नीक ऑफ एनालीटिकल साइकोथेरेपी “ नामक पुस्तकों में जुँग के प्रतिपादन का समर्थन किया है और कहा है कि स्वप्न अंतर्मन की समस्याओं को सुलझाने वाले संकेत सूत्र होते हैं।
मनः शास्त्री जी.एच.मिलर ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ “ द डिक्शनरी ऑफ ड्रीम्स “में दस हजार स्वप्न - संकेतों का विशद रूप से विवेचन किया है। उनके अनुसार प्रायः मानवी मन विषय, वासनाओं, भौतिक लिप्साओं में ही निमग्न रहता है अतः उसे उसी तरह के स्वप्नों का आभास मिलता है। यदि वह आत्मा की ओर उन्मुख हो और उसकी आवश्यकता को भी जान सके आध्यात्मिकता की ओर मुड़े तो उसे तदनुरूप उच्चस्तरीय स्वप्न संकेत भी मिल सकते हैं जो जीवनोत्कर्ष के मार्ग में मील के पत्थर सिद्ध हो सकते हैं। श्रद्धायुक्त स्वच्छ, पवित्र मन वाले उपासक आत्मचिन्तन करते हुए सार्थक स्वप्न देख मानव कल्याण का हेतु बन सकते है।
सुप्रसिद्ध मनोविज्ञानी नेरियस ने स्वप्नों का गहन अध्ययन किया हैं और इसका विशद वर्णन अपनी पुस्तक - स्वप्न और उनका आशय में किया है। स्वप्न कैसे होते है? क्यों होते हैं? कितने प्रकार के होते हैं? और इनका जीवन में क्या महत्व है? आदि विषयों पर उन्होंने पूर्ण प्रकाश डाला है। उनके अनुसार स्वप्न एक व्यक्तिगत संदेश वाहक होते हैं जो जीवन को दिशा निर्देश और संदेश देते हैं वे हमारे सहयोगी साथी एवं मार्गदर्शक की तरह होते हैं जिनके निर्देश को यदि समझा जा सके तो अपने आपको ऊपर उठाया जा सकता है प्रतिभा एवं व्यक्तित्व सम्पन्न बना जा सकता है। उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उनने लिखा है कि ऐसे कितने ही व्यक्ति हुए हैं जिन्हें स्वप्नों में ही दिशा निर्देश और सूझबूझ प्राप्त हुई और उसका लाभ उठाकर वे विश्वविख्यात विद्वान, लेखक, कलाकार या राजनेता बने। संसार प्रसिद्ध अंग्रेजी साहित्य - “ पिल्ग्रिमप्रोग्रेस “ को जान बनियन ने स्वप्न के आधार पर ही लिपिबद्ध किया था। इसी प्रकार शेक्सपियर ने - दी टैम्पेस्ट, मैकवेथ, हैमलेट, मिडसमर नाइट ड्रीम जैसे ग्रन्थों की रचना स्वप्न में मिले विचार संकेतों के अनुसार की। ऐतिहासिक दृष्टि से भी स्वप्न बड़े उपयोगी और महत्वपूर्ण सिद्ध हुए हैं और ऐसे व्यक्ति इतिहास में अमर हो गये हैं। उनके नाम है - हिटलर, एलेक्जेंडर द ग्रेट, जूलियस सीजर, जोन ऑफ आर्क, नैपोलियन, विसमार्क आदि जिन्होंने अचेतन के संकेतों समझा और उनका अनुसरण करके अपने युग की परिस्थितियों को ही बदल दिया। आइन्स्टीन, केकुले, फ्रेंकलिन, न्यूटन जैसे कितने ही प्रख्यात वैज्ञानिकों को उनके आविष्कारों की जानकारियाँ स्वप्नों में ही मिली थी।
कई बार स्वप्न ऐसे प्रेरक होते हैं कि उनके प्रकाश में मनुष्य का जीवन क्रम ही बदल जाता हे। भगवान बुद्ध तब राजकुमार थ। नव-यौवन में प्रवेश ही किया था। एक दिन उनने स्वप्न देखा कि श्वेत वस्त्रधारी एक वयोवृद्ध दिव्य पुरुष आया और उनका हाथ पकड़कर श्मशान ले पहुँचा। अँगुली का इशारा करते हुए उसने दिखाया- देखो! यह तुम्हारी मृत देह है। इस तथ्य को समझो और जीवन का सदुपयोग करो। आँख खुलते ही बुद्ध विह्वल हो गये और उनने निश्चय कर डाला कि इस बहुमूल्य सौभाग्य का उन्हें किस प्रयोजन के लिए, किस प्रकार उपयोग करना है। वे राज-पाट छोड़कर सत्य की खोज में चल पड़े और अन्ततः उन्होंने उसे प्राप्त कर भी लिया।
स्वप्नों का सत्य होना इसका स्पष्ट प्रमाण है। उनकी सार्थकता तभी है जबकि हम आत्मा की प्रगति के मूल में मन के महत्व को समझें और उसे शुद्ध- पवित्र बनाने के संकल्पों और साधनाओं का अभ्यास करें। कारण शक्ति का केन्द्र अंतर्मन है। वहीं समूचे व्यक्तित्व का संचालन करता है। उसकी उत्कृष्टता-निकृष्टता के अनुरूप ही स्वप्न आते है। स्वप्न विज्ञान के आधार न केवल शारीरिक दुर्बलता एवं रुग्णता को समझा और हटाया जा सकता है, वरन् चेतना की परतों के संबन्ध में भी उनसे महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है। तदनुरूप आत्म परिष्कार की उपयुक्त पृष्ठभूमि भी बनाई जा सकती है।
वस्तुतः जितनी रहस्यमयी यह प्रकृति है, उतनी ही विलक्षण मस्तिष्कीय चेतन सत्ता है। मनुष्य की श्रेष्ठता, निकृष्टता का मूल्याँकन इसी आधार पर किया जा सकता है कि शुद्ध स्थिति में प्राप्त मन पर परिवेश, संस्कारों एवं भरीपूरी विधा किन्तु सत्यान्वेषी वैज्ञानिकों को इसके अनावरण की चुनौती स्वीकार करनी ही चाहिए।