मुफ्त में विपुल धन (Kahani)

July 1988

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चोरों के गिरोह ने जंगल में रहने वाले एक महात्मा से पूछा-हम लोग मौत के दर्शन करना चाहते है। आपने देखी हो तो हमें बता दें।

महात्मा ने एक गुफा की ओर इशारा किया कि वह उसमें रहती है। तुम जाओ तो मिल जायेगी।

चोर वहाँ गये।देखा कि गुफा में सोना भरा पड़ा है। वे मौत की बात तो भू गये और सोने को घर ले चलने की योजना बनाने लगे। तय हुआ कि उसे रात के समय घर ले चलना चाहिए। दिन में खा-पीकर आराम कर लेना ठीक होगा।

एक चोर बाजार से खाना लेने गया। दूसरा दूसरी जगह खराब लेने। तीनों अलग-अलग हुए तो खली समय में यह योजना बनाने लगे कि शेष दो को मारकर सारा सोना वह अकेला ही हड़प ले।

जो चोर गुफा में पहरेदारी पर बैठा था उसने सोने के टुकड़ों से दो पैनी छुरियाँ बनाई। पहला खाना खाकर चलने की तैयारी की।

जो चोर मर गये थे। वे खाने में और शराब में जहर मिला लाये थे। इनका इरादा भी शेष दो को जहरीले भोजन को खिलाकर मार देने का था। बचे हुए तीसरे चोर ने खाना खाया शराब पी। थोड़ी देर में वह भी मर गया।

महात्मा ने सच ही कहा था कि गुफा में मौत रहती है। मुफ्त में विपुल धन पा लेना अपनी मौत बुला लेने के समान है।


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