तीर्थ यात्रा का उद्देश्य (Kahani)

July 1988

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एक बुढ़िया ने चारों धाम यात्रा के लिए धन जमा किया। वह तैयारी ही कर रही थी कि इतने में दुर्भिक्ष पड़ा। अनेक लोग भूखों मरने लगे। बुढ़िया ने अपना तीर्थ यात्रा वाला धन अकाल पीड़ितों के लिए खर्च कर दिया। उसे तीर्थ यात्रा की योजना छोड़नी पड़ी।

स्वर्गलोक में हर साल तीर्थ यात्रा निरीक्षण वाली समिति की बैठक होती थी, वह पता लगाती थी कि सच्चे मन से कितनों ने तीर्थ यात्रा की ताकि उनके लिए स्वर्ग में स्थान नियत किया जाय।

समिति ने सूक्ष्म दृिष्ट से उस वर्ष के सभी तीर्थ यात्रियों का निरीक्षण किया। मात्र एक यही बुढ़िया इस योग्य ठहराई गई और उसे स्वर्ग में स्थान मिला।

समिति के एक सदस्य ने शंका की कि वह बुढ़िया तो तीर्थ यात्रा के लिए गई ही नहीं। अध्यक्ष ने उत्तर दिया तीर्थ यात्रा का उद्देश्य मन को उदार बनाने की साधना करना है। सो उस बुढ़िया ने भली प्रकार पूरा कर लिया। किसी नदी या स्थान या देव प्रतिमा का दर्शन करना मात्र ही तीर्थ यात्रा नहीं है।


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