छोटे-छोटे काम, बहुत बड़े सत्परिणाम - पंचसूत्री कार्यक्रमों पर प्रज्ञापुत्रों के गतिशील चरण

September 1987

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दहेज विरोधी अभियान, निरक्षरता उन्मूलन दीप यज्ञ (जन्म दिवसोत्सव) सद्वाक्य लेखन और झोला पुस्तकालय इन पंचसूत्री कार्यक्रमों का इन दिनों तेजी से विस्तार हो रहा है। छोटे प्रतीत होने वाले यह कार्यक्रम नमक सत्याग्रह की तरह ही कितने प्रभावी है उसकी कुछ झलक झाँकियाँ यहाँ प्रस्तुत की जा रही है।?

बाबाजी विद्यार्थी बनें

मंगलासंर (राज0) गायत्री परिवार शाखा द्वारा प्रारंभ प्रौढ़ पाठशाला में क्रमशः 57 व 60 वर्ष के दो वयोवृद्ध श्री रमजान खाँ और श्री कामताप्रसाद भी विद्यार्थी बने है 15 विद्यार्थियों को लेकर प्रारंभ की गई यह प्रौढ़ पाठशाला इन दिनों समूचे नगर की प्रेरणा और चर्चा का विषय है।

युग निर्माण योजना के साक्षरता अभियान के अंतर्गत प्रौढ़ शिक्षा का यह संकल्प जुलाई मास में सर्व श्री देवराज सिंह चन्द्रिका प्रसाद तथा कृष्ण चन्द्र रवानी ने लिया था उन्होंने पूरे उत्साह से यह योजना क्रियान्वित की। उनकी निष्ठा का ही परिणाम था जो घर-घर प्रौढ़ निरक्षरों को पढ़ने के लिए सहमत किया जा सका और अब यह प्रौढ़ पाठशाला उत्साहपूर्ण वातावरण में चल रही है

विराट महायज्ञ के लिए

किशनगढी (विहार) आगामी माह आयोजित शतकुण्डी गायत्री महायज्ञ को विराट बनाने के लिए पंचसूत्री कार्यक्रम निर्धारित किये गये हैं 1- एक हजार जनसंपर्क और चालीसा वितरण 2- समीपवर्ती गाँवों की तीर्थ यात्रा 3- घर-घर दीप यज्ञ और आमंत्रण 4- एक हजार मंगल कलश के लिए महिलाओं की तैयारी स्लाइड प्रोजेक्टर द्वारा मिशन का प्रसार और भागीदार के लिए आमंत्रण।

इन कार्यक्रमों के लिए अलग-अलग समितियाँ बना दी गई है यह सभी यज्ञ समिति के मार्गदर्शन में कार्य करेंगी अनुमान है इस आयोजन से एक लाख व्यक्तियों तक प्रज्ञा आलोक फैलेगा। आयोजन की सफलता के लिए स्थानीय सभी शाखायें स्वाध्याय मंडल और समीपवर्ती शाखाएं एक जुट होकर कार्य।

अविस्मरणीय!आराध्य! तीर्थ यात्रा

पटना (बिहार) गायत्री शक्तिपीठ से साइकिल यात्रा प्रारंभ हुई। साथ में ज्ञानरथ-साहित्य वितरण के लिए मेरु कलम-सद्वाक्य लिखने के लिए चित्र और चालीसा प्रज्ञा अभियान का प्रारम्भिक परिचय देने के लिए सर्व श्री कृष्णदेव नारायण सिन्हा, हरदेवच मिश्र, रणधीर सिंह, महावीर सिंह, विनोद कुमार रघुनाथ प्रसाद, नागेन्द्र प्रसाद, परमानन्द प्रसाद प्रधान वीरेन्द्र कुमार वाल्मीकि प्रसाद, नागेश्वर प्रसाद तथा गोविन्द शेखर शंकर ने कंकड़ बाग कालोनी से चलकर कच्ची दरगाह तक दूसरे दिन फतुहा तक की यात्रा सम्पन्न की।

मार्ग में स्थान स्थान पर लघु सभायें आयोजित कर युग निर्माण का परिचय दिया और प्रचार सामग्री वितरित की गई। इस प्रचार यात्रा का ही प्रतिफल था विराट शतकुँडी आयोजन जिसे आज भी लोग भूल नहीं पा रहे। ऐसी तीर्थ यात्रायें और भी चलाने की योजना है।

आय से मिलकर स्वर्ग मिल गया

अर्जुन पोखरी (उ0प्र0) श्री भरतलाल केशरवानी का जन्म दिन संस्कार युग-निर्माण योजना पद्धति से श्री ग्यासीराम पुनियाने सम्पन्न कराया। प्रायः डेढ़ घंटे चले इस संस्कार को देखने के लिए श्री केशरवानी के मित्रों संबंधियों सहित प्रायः एक सौ पचास लोग उपस्थित थे श्री पुनिया को विदा करते समय श्री केशरवानी जी भव विभोर हो उठे “ आप क्या मिल स्वर्ग मिल गया’ उनके इन उद्गारों में उपस्थित जनों की सहमति झाँक रही थी।

श्री पुनियाँ नियमित झोला पुस्तकालय चलाते हैं। एक दिन श्री शरवनी ने मिशन का परिचय पूछा तो श्री पुनियाने उनकी जन्म तिथि पूछी और स्वयं कराने की सहमति ले ली। नियत तिथि पर संपन्न हुआ जन्म दिन संस्कार बड़ा भाव विभोर था उसी में उन्हें मिशन का परिचय मिल गया। अब श्री पुनिया की डायरी में 54 लोगों के जन्म दिन संस्कार कराने के आमंत्रण नोट है।

दीप जले- शंख बजे

बहादुर गंज (उ0प्र0) एक माह में 17 लोगों ने शराब छोड़ी तीन ने अफीम, बीस ने बीड़ी सिगरेट, 5 महिलाओं ने गृह कलह या बच्चों पर क्रोध न करने की भी शपथ ली साथ में एक अच्छाई ग्रहण करने की प्रतिज्ञा के अंतर्गत ईमानदारी सरकारी काम काज में निष्ठा बच्चों के दहेज रहित आदर्श विवाह तथा प्रौढ़ साक्षरता के संकल्प भी लिये गये। हृदय परिवर्तन का यह शंखनाद दीपयज्ञ आन्दोलन ने फूँका है। जुलाई उत्तर प्रदेश सम्मेलन में संकल्प होने के बाद वापस आते ही स्थानीय शाखा के कर्मठ कार्यकर्ता श्री हरीलाल शास्त्री तथा श्री पंचवटी नन्दन मिश्र ने दीप यज्ञ प्रारंभ किया। यह शृंखला अभूतपूर्व उत्साह के साथ चल पड़ी है।

अब मैं बम्बई जा रहा हूँ

मथुरा (उ0प्र0) श्री टीकाराम शर्मा निष्ठावान युग शिल्पी 1975 से सद्वाक्य लेखन प्रारंभ किया मान्टेसरी स्कूलों तक में सद्वाक्य (स्टीकर्स) लगवाये इससे भी मन न भरा तो अपने दरवाजे पर एक बोर्ड लगवाया उसमें प्रतिदिन स्टीकर्स मान्यता प्राप्त सद्वाक्य और अखण्ड ज्योति के सू. एवं आप्त वचन लिखना प्रारंभ किया।

एक दिन श्री मधुसूदन चतुर्वेदी नाम के एक वयोवृद्ध श्री शर्मा से मिले कहने लगे में आपका वाक्य पढ़ने प्रतिदिन घर से चलकर आता था अब मैं बम्बई जा रहा हूँ एक थैली में पैसे देकर कहा “मुझे प्रतिदिन का सद्वाक्य कार्ड में लिखकर जब तक में जीऊँ भेजते रहना” हाल में ही उनका निधन हुआ उसके पूर्व उन्होंने अपने बच्चे से रजिस्टर भिजवा कर 500 सद्वाक्य लिखा कर मंगवाये वे इसे देव यज्ञ कहा करते थे।

प्राण जायें वरु वचन न जाई

कानपुर (उ0प्र0) गायत्री यज्ञापीठ किदवह नगर के तत्वावधान में कोपेन होगेन डेनमार्क में जन्मे और नार्वे के इंजीनियर श्री माइकेल तथा कोपेन हेगेन की समाज कल्याण अधिकारी जीनेट का पाणिग्रहण संस्कार गायत्री परिवार पद्धति से सम्पन्न हुआ। विवाह कार्य श्री हरी प्रसाद शुक्ल संवाददाता और हजारों लोगों की भीड़ इसे देखने को उमड़ पड़ी।

श्री माइकेल ने बताया वे डेनमार्क से ही पूज्य गुरुदेव का साहित्य पढ़ रहे है। भारतीय विवाह पद्धति से प्रभावित होकर उन्होंने यही आकर विवाह कराने का निश्चय किया था, उन्होंने कहा हमने इस अवसर पर जो प्रतिज्ञायें की है उन्हें आजीवन निबाहेंगे। नवविवाहित जीनेट विवाह के आदर्शों और शिक्षण से भाव विभोर हो उठी। विवाह से पूर्व माइकल का यज्ञोपवीत संस्कार भी सम्पन्न हुआ।

साइकिलों द्वारा सार्थक तीर्थयात्रा

जहाँगीराबाद (बुलन्दशहर) अशोक गर्ग और उनके सहयोगियों ने जन -जागरण हेतु अपने पूरे क्षेत्र की साइकिल यात्री सम्मान की उसकी यहाँ भारी सराहना की जा रही है। टोली जहाँ रुकती है वहाँ रात्रि प्रवचन करती है और जाति-पाँति ऊंच-नीच वर्गभेद आदि बुराइयों के उन्मूलन स्वच्छता, वृक्षारोपण, शिक्षा संवर्धन आदि समाज को ऊपर उठाने वाले कार्यक्रमों के विस्तार की प्रेरणा भरती है अगले दिन यज्ञ साक्षी में बुराइयां छोड़ने और अच्छाइयाँ ग्रहण करने के संकल्प कराये जाते हैं जिससे जनजीवन में आश्चर्यजनक सुधार के दृश्य दिखाई देने लगे है।

हम तो धन्य हो गये

बड़ौदा गुजरात शतकुंडी यज्ञ और राष्ट्रीय एकता सम्मेलन जिले की सभी शाखाओं के सहयोग से सम्पन्न हुआ। अनेक गणमान्य व्यक्ति भी सम्मिलित हुये।

डॉ0 के0 सौ0 परमार के नेतृत्व में अपने परम्परागत वेषभूषा में नृत्य गान करते हुये आने वाला प्रायः 550 आदिवासी भाइयों का समुदाय इस आयोजन का विशिष्ट आकर्षण था 3 जोड़ों के आदर्श विवाह भी हुये थे और सैन सब ने कभी नशा न करने का संकल्प लिया था आदिवासियों की अभिव्यक्ति थी हम तो धन्य हो गये। हम लोगों की प्रेरणा से अब उनका सजातीय समुदाय भी बड़ी संख्या में नशे छोड़ रहा है व साक्षरता की और बढ़ रहा है।

दहेज विरोध अभियान

मझवारा। गायत्री शक्तिपीठ के संचालक श्री रामावतार दुबे तथा उनके सहयोगियों द्वारा दहेज रहित आदर्श विवाहों का संकल्प अभियान बहुत सफलता प्राप्त कर रहा है। अब तर्क विभिन्न परिवारों के 10 मुखिया या विवाह योग्य नवयुवक प्रतिज्ञा पत्र भर चुके है।

श्री दुबे और उनके साथियों ने विवाह संबंधी ट्रैक्ट और पुस्तकें घर-घर पढ़ाने और दहेज की बुराई मिटाने की चर्चा का कम प्रारंभ किया अनेक लोग इस बुराई से पीड़ित तो पहले से ही थे अब पहल करने वाले मिल गये तो सब को आशा का सम्बल मिला। संकल्प कर्ताओं को अपने बाल-बालिकाओं के विवाह शान्ति कुँज में कराने का आग्रह किया जा रहा है।


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